एयर स्ट्राइक में 3 क्रिकेटरों की मौत के बाद अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम, दोहा में कतर का ऐलान
दोहा में कतर और तुर्की की मध्यस्थता से अफगानिस्तान और पाकिस्तान तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए हैं। यह फैसला 10 दिनों से जारी सीमा संघर्ष और सैकड़ों मौतों के बाद लिया गया। दोनों देश आगे की बैठकों में युद्धविराम की स्थिरता सुनिश्चित करेंगे। वार्ता में दोनों पक्षों के शीर्ष रक्षा अधिकारी शामिल रहे।
Publish Date: Sun, 19 Oct 2025 08:40:48 AM (IST)
Updated Date: Sun, 19 Oct 2025 08:40:48 AM (IST)
तर्की और कतर ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के भूमिका निभाई है। (फोटो- एजेंसी)HighLights
- दोनों देशों ने तत्काल युद्धविराम पर जताई सहमति।
- कतर और तुर्की ने निभाई वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका।
- संघर्ष में तीन अफगान क्रिकेटरों समेत 17 लोगों की मौत।
एजेंसी, दोहा। अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने कतर की राजधानी दोहा में आयोजित शांति वार्ता के दौरान तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है। कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार तड़के इस समझौते की घोषणा की।
यह फैसला दोनों देशों के बीच पिछले दस दिनों से जारी भीषण सीमा संघर्ष और सैकड़ों लोगों की मौत के बाद आया है। कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हुई इस वार्ता को क्षेत्रीय शांति के लिए अहम माना जा रहा है। दोनों पक्ष अब युद्धविराम लागू रहे, इसलिए आगे भी बैठकें करेंगे।
डूरंड लाइन पर 10 दिन से जारी था संघर्ष
- दरअसल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संघर्ष 9 अक्टूबर की रात से शुरू हुआ था। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया था कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों को पनाह दे रहा है। इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हमला कर दिया।
अफगान सेना और तालिबान लड़ाकों ने पलटवार करते हुए पाकिस्तान में घुसकर उसकी 25 सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया। इन झड़पों में महिलाओं और बच्चों सहित दर्जनों आम नागरिकों की मौत हो गई। हमले में तीन अफगान क्रिकेटरों की भी मौत
- पाकिस्तान की सेना ने हमला तेज कर अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी पक्तिका प्रांत में 3 अफगान क्रिकेटरों समेत 17 लोगों की जान ले ली। इसी घटना के बाद कतर में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता आयोजित की गई।
- बैठक में पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और ISI प्रमुख जनरल आसिम मलिक शामिल थे, जबकि अफगानिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल उपस्थित रहा।