एजेंसी, नई दिल्ली। अमेरिका एक बार फिर सरकारी शटडाउन (America Shutdown) की अनिश्चितता से गुजर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कांग्रेस तय समयसीमा तक फंडिंग बिल पर सहमति नहीं बना सके। इसका नतीजा यह हुआ कि कई सरकारी विभागों और सेवाओं के बंद होने का खतरा पैदा हो गया है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान देश ने 35 दिनों तक का सबसे लंबा शटडाउन झेला था। उस समय उन्होंने मैक्सिको सीमा पर दीवार निर्माण के लिए बजट मांगा था, जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया था। इससे पहले 2013 में ओबामा सरकार भी 16 दिन तक शटडाउन के कारण आलोचना का शिकार हुई थी।
थिंक टैंक बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर की आर्थिक नीति निदेशक रेचल स्नाइडरमैन ने कहा कि शटडाउन न केवल सरकारी तंत्र बल्कि आम लोगों पर भी असर डालता है। शिक्षा, पर्यावरण और रोजगार जैसी सेवाएं प्रभावित होंगी। लाखों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जा सकता है, जबकि कुछ कार्यालय स्थायी रूप से बंद होने की स्थिति में हैं।
हालांकि, इस संकट के बीच भी सभी जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी। सीमा सुरक्षा, अस्पतालों में मेडिकल केयर, हवाई यातायात नियंत्रण और कानून व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी। इसके बावजूद शटडाउन देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेगा और नागरिकों में भय का माहौल बनाएगा।
सरकारी शटडाउन तब होता है जब कांग्रेस संघीय एजेंसियों को चलाने के लिए वार्षिक बजट पारित करने में विफल रहती है। अमेरिका का *एंटीडेफिशिएंसी एक्ट* बिना फंडिंग के खर्च करने से रोकता है। ऐसे में गैर-जरूरी सेवाएं बंद करनी पड़ती हैं। 1981 से अब तक 16 बार ऐसा संकट देश देख चुका है।