
एजेंसी, न्यूयॉर्क। अमेरिका एक बार फिर से अपने न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग करने जा रहा है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को अमेरिकी सेना को 33 साल बाद तुरंत परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है।
यह घोषणा उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक से कुछ मिनट पहले की। ट्रंप ने कहा कि यह कदम रूस और चीन के साथ “समान आधार” पर उठाया गया है ताकि अमेरिका उनकी बढ़ती परमाणु क्षमता के सामने पीछे न रह जाए।
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि अमेरिकी न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही से काम कर रहे हैं।
उन्होंने इसे अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी का एक अहम हिस्सा बताया। वेंस ने कहा कि "यह टेस्टिंग यह साबित करेगी कि हमारे पास जो परमाणु हथियार हैं, वे उपयोग योग्य स्थिति में हैं और सुरक्षा के लिहाज से भरोसेमंद हैं।"
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा कि “अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के चलते मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण समान आधार पर शुरू करने का निर्देश दिया है। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वे परमाणु निरस्त्रीकरण के पक्ष में हैं, लेकिन अमेरिका, रूस और चीन के पास बड़ी संख्या में परमाणु हथियार हैं और चीन अगले चार से पांच साल में बराबरी पर पहुंच सकता है।
ट्रंप के इस आदेश के बाद रूस और चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एक वरिष्ठ रूसी सांसद ने कहा कि यह निर्णय एक नए अनिश्चितता भरे दौर और खुली जंग की शुरुआत कर सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध के अपने वादे का पालन करने की अपील की है। चीन ने चेतावनी दी है कि ऐसे कदम से वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता पर गंभीर असर पड़ सकता है।
ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब रूस ने हाल ही में दो खतरनाक परमाणु हथियारों का सफल परीक्षण किया था, जिसने विश्व समुदाय को चौंका दिया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करता है, तो इससे दुनिया में हथियारों की नई दौड़ तेज हो सकती है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
