डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक चौंकाने वाले फैसले कर रहे हैं। इसी कड़ी में वह भारतीय मूल के गुजराती काश पटेल को बड़ी जिम्मेदारी देने जा रहे हैं, जिससे अमेरिकी खुफिया विभाग में हलचल बढ़ गई है।
अपने इस कार्यकाल में ट्रंप शीर्ष पदों पर अपने वफादार व्यक्तियों का स्थान दे रहे हैं। इसकी वजह है कि वह इस बार अपने सहयोगियों के दबाव में न आएं, जैसा कि पहले कार्यकाल के दौरान कई मामलों में देखने को मिला था।
लिहाजा, इस बार उन्होंने गुजराती मूल के काश पटेल (kash patel) को बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए चुना है। बताया जा रहा है कि काश पटेल को एफबीआई में शीर्ष पद दिया जा सकता है। हालांकि, इससे पहले उनको सीआईए प्रमुख बनाए जाने की चर्चा चल रही थी। मगर, उस पद पर ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी जॉन रैटक्लिफ को नामित किया।
काश पटेल के एफबीआई में आने की चर्चा से ही अमेरिका के खुफिया समुदाय में खलबली मच गई है। दरअसल, वह अमेरिका के खुफिया समुदाय के बारे में कट्टरपंथी विचार रखते हैं। इसके बारे में वह 'गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी' नाम से एक किताब लिख चुके हैं।
ट्रंप कह चुके हैं कि पटेल की किताब उनके अगले कार्यकाल का खाका होगी। यह हर भ्रष्टाचारी को उजागर करने वाला एक शानदार रोडमैप है। हम गैंगस्टर्स से व्हाइट हाउस की ताकत को वापस लाने और सभी सरकार पदों को स्वतंत्र बनाने में मदद करने के लिए इस ब्लूप्रिंट का इस्तेमाल करेंगे।
बताते चलें कि ही में उन्होंने उद्योगपति एलन मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ का नेतृत्व सौंपा है। इस काम में उनका साथ भारतीय मूल के अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी करेंगे। यह विभाग सरकारी दक्षता को बढ़ाने का काम करेगा।
इनका काम सरकारी नौकरशाही को खत्म करना, गैरजरूरी नियमों को हटाना, व्यर्थ व्यय में कटौती करना और संघीय एजेंसियों का पुनर्गठन करेंगे। अमेरिका के इतिहास में यह बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। ट्रंप ने एलन मस्क को सरकारी खर्चे कम करने और देश को मुनाफे में ले जाने वाली नीतियां बनाने का बड़ा जिम्मा सौंपा है।