इजरायल ने युद्ध में AI का इस्तेमाल कर ईरानी अधिकारियों को मारा, कैसे मोसाद ने दी ईरान को गहरी चोट
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान में गोपनीय रूप से ड्रोन पुर्जे पहुंचाकर लॉन्च साइट्स बनाई और AI की मदद से निशाना साधते हुए कई ईरानी अधिकारियों की हत्या की। इस ऑपरेशन ने आधुनिक युद्ध की रणनीति को बदल दिया है और ईरान में साइबर सुरक्षा को लेकर भय का माहौल है।
Publish Date: Tue, 24 Jun 2025 04:33:31 PM (IST)
Updated Date: Tue, 24 Jun 2025 04:48:27 PM (IST)
AI तकनीक से चुने गए टॉप ईरानी निशाने। (फाइल फोटो)HighLights
- मोसाद ने ईरान में छिपकर बनाई ड्रोन लॉन्च साइट्स।
- FPV ड्रोन से किए गए सटीक और घातक हमले।
- जनरल अली शादेमानी समेत कई अधिकारियों की हत्या।
एजेंसी, तेल अवीव। हाल के वर्षों में यह माना जा रहा था कि दुश्मन देश की सीमाओं के भीतर घुसकर सटीक और असरदार हमले करना असंभव है, लेकिन इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। एक बेहद साहसिक खुफिया ऑपरेशन में मोसाद ने ईरान में ड्रोन तकनीक और लॉन्चिंग साइट्स को बनाकर भविष्य की युद्ध रणनीतियों में बड़ा बदलाव किया है।
इस ऑपरेशन में मोसाद ने बेहद गोपनीय तरीकों का सहारा लिया। ड्रोन के अलग-अलग पुर्जे ट्रकों, कमर्शियल शिपिंग रूट्स और यहां तक कि सूटकेसों से ईरान की सीमाओं के भीतर पहुंचाए। इन पुर्जों को बाद में इकट्ठा कर हमले के लिए तैयार किया। हैरानी की बात यह है कि इन ड्रोन लॉन्च साइट्स को ईरान के भीतर ही बनाया गया। ईरान की सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
यूक्रेन से सीखे गए ड्रोन युद्ध के गुर
इज़राइल ने छोटे लेकिन मारक क्षमता वाले First-Person View (FPV) ड्रोन इस्तेमाल किए। यह रणनीति यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अपनाई थी, जिसको इजरायल ने ईरान के खिलाफ अपनाया। ये ड्रोन फुर्तीले, कठिनता से ट्रैक होने वाले और बेहद सटीकता से हमले करने में सक्षम हैं।
AI की ताकत से चुने गए टारगेट
- इस अभियान में Artificial Intelligence (AI) का इस्तेमाल किया गया। इजरायली अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अमेरिका के सहयोग से विकसित AI सिस्टम ने लाखों डेटा को स्कैन कर ईरान के टॉप टारगेट्स की पहचान की। इसमें ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के अधिकारी, वैज्ञानिक और सैन्य योजनाकार शामिल थे।
इन तकनीकों की मदद से इजराइल ने प्रमुख जनरल अली शादेमानी को मौत के घाट उतारा दिया। इससे पहले उनके पूर्ववर्ती प्रमुख जनरल को मार दिया था। 2020 में मोहसिन फखरीजादेह की हत्या और 2010 का स्टक्सनेट साइबर हमला इजराइल की हाई-टेक रणनीति का हिस्सा रहे हैं। ईरानी प्रशासन में फैला डर
इन घटनाओं के बाद ईरान में साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता चरम पर है। सरकार ने सभी अधिकारियों को इंटरनेट से जुड़े स्मार्टफोन न इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। सुरक्षा एजेंसियों ने आम जनता से अपील की है कि वे उन इमारतों की जानकारी दें, जो हाल के सालों में किसी विदेशी को किराए पर दी गई हैं।