एजेंसी, काठमांडु। नेपाल की राजनीति में रविवार को देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने औपचारिक रूप से अंतरिम प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। उनका यह कार्यकाल महज छह महीने का होगा, जिसके बाद मार्च 2026 में नए चुनाव कराए जाएंगे।
यह नियुक्ति ऐसे समय हुई है, जब जनरेशन-जी (Gen Z) के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शनों ने केपी शर्मा ओली की सरकार को गिरा दिया। उसके बाद संसद भंग करनी पड़ी।
प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद सुशीला कार्की ने पहला बड़ा कदम उठाते हुए प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने का ऐलान किया। मुख्य सचिव एकनारायण अर्याल ने पुष्टि की कि मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। 134 घायलों और 57 पुलिसकर्मियों का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया है। सरकार ने मंत्रालयों को प्रदर्शनों से हुए नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं।
कार्की ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार केवल आपातकालीन स्थिरता के लिए बनाई गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक नहीं होगा। नई संसद के चुनाव के बाद सत्ता सौंप दी जाएगी। उन्होंने छात्रों और युवाओं की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया और आश्वस्त किया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों का सम्मान होगा, जबकि हिंसक गतिविधियों की जांच होगी।
शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद ही नेपाल की संसद को भंग कर दिया गया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 5 मार्च 2026 को चुनाव कराने की घोषणा की। विपक्षी दलों ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया है, लेकिन राष्ट्रपति ने सभी दलों से सहयोग की अपील की है, जिससे चुनाव सफलतापूर्वक हो सकें।
सूत्रों के मुताबिक, कार्की ने अपनी कैबिनेट को अंतिम रूप देने के लिए परामर्श शुरू कर दिए हैं। उनके पास 25 मंत्रालयों पर अधिकार है, लेकिन वे मंत्रियों की संख्या 15 तक सीमित रखना चाहती हैं। जिन नामों पर विचार हो रहा है, उनमें कानूनी विशेषज्ञ ओमप्रकाश अर्याल, सेवानिवृत्त न्यायाधीश आनंद मोहन भट्टराई, ऊर्जा विशेषज्ञ कुलमान घिसिंग और प्रसिद्ध डॉक्टर डॉ. सन्दुक रुइत और डॉ. भगवान कोइराला शामिल हैं। इसके अलावा Gen Z प्रतिनिधि भी अपने उम्मीदवार सुझाने के लिए समानांतर बातचीत कर रहे हैं।
सुशीला कार्की की नियुक्ति को वैश्विक स्तर पर सराहना मिली है। अमेरिकी राजदूत ने इसे शांति बहाल करने की दिशा में कदम बताया, जबकि चीन ने “पारंपरिक मित्रता” का हवाला देते हुए बधाई दी। Gen Z प्रदर्शनों ने नेपाल की राजनीति की दिशा बदल दी है।
अब देश कार्की के नेतृत्व में एक अहम संक्रमण काल से गुजर रहा है, जहां स्थिरता, जवाबदेही और आगामी चुनावों की तैयारी सबसे बड़ी प्राथमिकताएं होंगी।