एजेंसी, नईदिल्ली: पड़ोसी देश नेपाल में जेन-जी का आंदोलन (Nepal Crisis GenZ Protest) और उत्पात सीमाई क्षेत्रों की ओर भी बढ़ने लगा है। आंदोलनकारी पूरी व्यवस्था को ध्वस्त को करने पर तुले हैं। इस कड़ी में बुधवार को आंदोलनकारियों और उपद्रवियों ने बुधवार की सुबह से जिले के सोनबरसा प्रखंड के निकटवर्ती सर्लाही जिला मुख्यालय स्थित मलंगवा कारागार में जेल ब्रेक करने की कोशिश में जुटे हैं।
आन्दोलनकारियों ने कारागार में आग लगा दी है। कारागार से आग की चिनगारी और धुआं फैलता जा रहा है। इस दौरान पुलिस से आंदोलनकारियों की कई बार तीखी झड़प भी हुई। सशस्त्र पुलिस व जनपद पुलिस एव सेना के जवान आंदोलनकारियों को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं। सुरक्षाकर्मियों ने आंदोलनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी दागे हैं। बावजूद इसके आंदोलनकारी वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यहां कभी भी जेल ब्रेक हो सकता है। स्थिति पूरी तरह तनावपूर्ण और अनियंत्रित नजर आ रही है।
नेपाल में गहराए राजनीतिक संकट के बीच प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों के इस्तीफे ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। संवैधानिक रूप से अब संसद और राजनीतिक दलों पर नई सरकार बनाने की जिम्मेदारी आ गई है।
प्रधानमंत्री पद कब होता है रिक्त?
नेपाल के संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री का पद निम्नलिखित परिस्थितियों में रिक्त हो सकता है:
ऐसी स्थिति में वही मंत्रिपरिषद कार्य करती रहती है जब तक नई मंत्रिपरिषद का गठन न हो जाए।
संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति का पद इन परिस्थितियों में खाली होता है:
इन परिस्थितियों में राष्ट्रपति के कार्य उपराष्ट्रपति द्वारा संभाले जाते हैं।
नेपाल में स्थिति बिगड़ने पर काठमांडूस्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए आपात नंबर जारी किए हैं। दूतावास ने स्पष्ट कहा है कि भारतीय नागरिक यात्रा स्थगित करें और घरों से बाहर न निकलें। इस बीच एयर इंडिया, इंडिगो और नेपाल एयरलाइंस ने काठमांडू की उड़ानें रद्द कर दी हैं। यहां तक कि दो भारतीय विमान त्रिभुवन हवाई अड्डे से बिना लैंड किए वापस लौट आए।
नेपाल में मौजूदा संकट का समाधान अब संसद और राजनीतिक दलों पर निर्भर है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, जल्द ही नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। सेना पहले से ही सुरक्षा की कमान संभाल चुकी है और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।
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