एजेंसी, इस्लामाबाद। पाकिस्तान इन दिनों इतिहास के सबसे गंभीर भूख संकट का सामना कर रहा है। गेहूं और आटे की कीमतों में लगातार उछाल से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सरकार भले ही पर्याप्त स्टॉक का दावा कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि कराची समेत देशभर में गेहूं थोक बाजारों में रिकॉर्ड दामों पर बिक रहा है। इससे आम जनता की रोटी तक पहुंच खतरे में पड़ गई है। भूख व राजनीतिक अस्थिरता का खतरा मंडरा रहा है।
फेडरल फूड सिक्योरिटी मंत्री राणा तनवीर हुसैन का दावा है कि देश में 33.47 मिलियन टन गेहूं मौजूद है और आयात की जरूरत नहीं है। उद्योग जगत और मिलर्स इस दावे को गलत बता रहे हैं। कराची होलसेलर्स ग्रोसर्स एसोसिएशन के चेयरमैन रऊफ इब्राहीम का कहना है कि असल उत्पादन 29–30 मिलियन टन है, जिसमें से 3–4 मिलियन टन तो पशुओं के चारे में चला गया। उनका आरोप है कि सरकार की नीतियों ने कृत्रिम संकट खड़ा कर दिया है।
भारी मानसूनी बारिश ने हजारों एकड़ फसल डुबो दी है। 20 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ का पानी सिंध की ओर बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन का असर है।
विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही 9 अरब डॉलर से नीचे हैं। पाकिस्तान को गेहूं आयात करना पड़ा, तो 1.5 अरब डॉलर से ज्यादा का खर्च आएगा। 2023 में पाकिस्तान ने 2.2 मिलियन टन गेहूं खरीदा था। 2024–25 में 3 मिलियन टन से अधिक की कमी की आशंका है। विश्व बैंक ने इस साल 20 अरब डॉलर का पैकेज घोषित किया है, जिससे पाकिस्तान को जलवायु-प्रतिरोधी कृषि और सिंचाई सुधार में मदद मिल सके।
पाकिस्तान की 72% आबादी की कैलोरी खपत गेहूं पर आधारित है। इस समय नान और रोटी बेचने वाले दाम बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। कराची के एक व्यापारी ने जानकारी दी कि अगर यही हाल रहा तो करोड़ों परिवारों के लिए आटा पहुंच से बाहर हो जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क सकते हैं।