
डिजिटल डेस्क: रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन के सैनिकों की संचार व्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के स्टारलिंक नेटवर्क (Elon Musk Starlink satellites) पर अब रूस की नजर टिकी हुई है। नाटो से जुड़े दो देशों की खुफिया एजेंसियों का मानना है कि रूस ने यूक्रेन की कमर तोड़ने के लिए एक नया उपग्रह-रोधी हथियार तैयार किया है।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, यह हथियार पृथ्वी की निचली कक्षा (लो-अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित स्टारलिंक उपग्रहों को निशाना बना सकता है। इसके जरिए अंतरिक्ष में बड़ी मात्रा में हाई-डेंसिटी छर्रे छोड़े जा सकते हैं, जो उपग्रहों को नुकसान पहुंचाने या पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम होंगे। इस संभावित खतरे को खुफिया एजेंसियों ने ‘जोन इफेक्ट’ नाम दिया है।
हालांकि, अंतरिक्ष सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के हथियार का इस्तेमाल केवल स्टारलिंक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे अन्य देशों के उपग्रहों को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। कोलोराडो स्थित सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की अंतरिक्ष सुरक्षा विशेषज्ञ विक्टोरिया सैम्सन का कहना है कि ऐसे हथियार का प्रयोग रूस के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उसके अपने और मित्र देशों के उपग्रह भी प्रभावित होंगे।
ऐसे में इस हथियार के इस्तेमाल की संभावना कम मानी जा रही है। वहीं, इस पूरे मामले पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान स्टारलिंक ने यूक्रेन की सैन्य और नागरिक संचार व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। युद्ध की शुरुआत में रूसी हमलों के कारण यूक्रेन के कई इलाकों में पारंपरिक इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क ठप हो गए थे। ऐसे में स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के जरिए यूक्रेनी सेना को सुरक्षित संचार, ड्रोन संचालन, रियल-टाइम खुफिया जानकारी साझा करने और युद्धक्षेत्र में बेहतर समन्वय में मदद मिली।
इसके अलावा, आपात सेवाओं, अस्पतालों और सरकारी संस्थानों को भी स्टारलिंक के माध्यम से इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई, जिससे युद्ध के बीच प्रशासनिक और मानवीय गतिविधियां जारी रह सकीं।