लंदन। ब्रिटेन के एकल वर्ग के प्रमुख निजी स्कूलों ने छात्राओं के लिए लड़कियों (गर्ल्स), यंग वूमेन (युवा महिलाएं) या यंग लेडीज जैसे शब्दों का प्रयोग न करने की सलाह दी है। इसकी जगह उन्हें प्यूपल (छात्र) कह कर पुकारे जाने की वकालत की है।
स्कूलों का मानना है कि इससे उन विद्यार्थियों का अपमान हो सकता है, जिनको अपनी जेंडर-आइडेंटिटी पर संदेह है। यह कदम ट्रांसजेंडर छात्रों के मद्देनजर उठाया गया है।
गर्ल्स स्कूल्स एसोसिएशन (जीएसए) द्वारा जारी इस सलाह में उभयलिंगी शौचालय बनाने की सिफारिश की गई है। जीएसए निजी स्कूलों के मुख्य शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करती है। द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षकों से छात्राओं के लिए इसके बजाय प्यूपल या स्टूडेंट्स (विद्यार्थी) जैसे जेंडर-न्यूट्रल शब्दों का प्रयोग करने को कहा गया है।
ऑक्सफोर्ड स्थित हेडिंग्टन स्कूल की प्रधानाध्यापिका और जीएसए अध्यक्ष कैरोलिन जोर्डन के हवाले से अखबार ने लिखा, "असेंबलीज में "गर्ल्स गो टू लेशंस" (लड़कियां कक्षा में जाकर पढ़ो) कहने की बजाय स्कूल स्टॉफ को "प्यूपल्स गो टू लेशंस" कहना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि प्रत्येक वर्ष यहां बहुत से युवा आते हैं, जिनसे उनकी जेंडर-आइडेंटिटी को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। मैं नहीं चाहती किसी में भी यह भाव नहीं आना चाहिए कि यह स्कूल सिर्फ लड़कियों या फिर लड़कों के लिए ही है।" जेंडर डायवर्सिटी संगठन "जेंडर्ड इंटेलीजेंस" के चेयरमैन जे स्टीवर्ट ने कहा कि देश की एक फीसद जनसंख्या ट्रांसजेंडर है।
मालूम हो, हाल ही में ब्रिटेन के 80 स्कूलों ने बच्चों के लिए "जेंडर-न्यूट्रल" यूनिफार्म को अपनाया है। इसमें अगर लड़के चाहें तो वे स्कर्ट पहन सकते हैं और लड़कियां ट्राउजर्स। वहीं, बिट्रिश सरकार, वित्तीय सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों से ट्रांसजेंडर बच्चों के प्रति काफी संवेदनशील रहने के लिए पहले ही कह चुकी है।