बांग्लादेश चुनाव से पहले शेख हसीना को झटका, EC ने वोट डालने का अधिकारी छीना
बांग्लादेश चुनाव आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार का राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) लॉक कर दिया है। अब वे फरवरी 2026 के आम चुनावों में वोट नहीं डाल सकेंगे। हसीना फिलहाल निर्वासन में हैं और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में अनुपस्थिति में गंभीर मुकदमों का सामना कर रही हैं।
Publish Date: Thu, 18 Sep 2025 01:28:39 PM (IST)
Updated Date: Thu, 18 Sep 2025 01:28:39 PM (IST)
शेख हसीना पर गिरी गाज। (फाइल फोटो)HighLights
- शेख हसीना का राष्ट्रीय पहचान पत्र चुनाव आयोग ने लॉक किया।
- फरवरी 2026 आम चुनाव में वोट डालने से वंचित।
- हसीना परिवार के कई सदस्यों के NID भी ब्लॉक।
एजेंसी, ढाका। बांग्लादेश के चुनाव आयोग (EC) ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) लॉक कर दिया है, जिससे वे फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों में मतदान नहीं कर पाएंगी। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि NID कार्ड लॉक होने पर विदेश से वोट नहीं डाल सकते।
हसीना और परिवार पर रोक
- EC सचिव अख्तर अहमद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हसीना का NID अब सक्रिय नहीं है। हालांकि उन्होंने अन्य नामों का खुलासा नहीं किया, लेकिन UNB न्यूज एजेंसी और ढाका ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया कि हसीना की बहन शेख रेहाना, बेटा सजीब वाजेद जॉय और बेटी सायमा वाजेद पुतुल के NID कार्ड भी ब्लॉक कर दिए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार रेहाना की बेटियां ट्यूलिप रिजवाना सिद्दीक, अजमीना सिद्दीक, भतीजे रदवान मुजीब सिद्दीक बॉबी और अन्य नजदीकी परिजन भी मतदान नहीं दे पाएंगे। सत्ता से बेदखली
उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2024 को छात्र-आंदोलन के चलते शेख हसीना की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई थी। उसके बाद वे भारत आ गईं। उसी समय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाली। हसीना की आवामी लीग पार्टी की गतिविधियां निलंबित कर दीं।
न्यायिक कार्रवाई
फिलहाल शेख हसीना बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में अनुपस्थिति में मुकदमे का सामना कर रही हैं। उन पर जुलाई 2024 के विद्रोह के दौरान कथित मानवता-विरोधी अपराधों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं। अभियोजन पक्ष ने उनके खिलाफ मृत्युदंड की मांग की है।
आवामी लीग का भविष्य संकट में
आवामी लीग के अधिकांश वरिष्ठ नेता या तो भूमिगत हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं। उनके घरों और संपत्तियों पर हमले हुए। यहां तक कि ढाका स्थित धानमंडी-32 में शेख मुजीबुर रहमान का ऐतिहासिक निवास भी भीड़ ने तोड़ दिया था।