कोरोना और प्रशासन की बंदिश भी नहीं रोक सकी पत्थरबाजी, गोटमार मेले में 110 घायल
छिंदवाड़ा, पांढुर्णा (नवदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना का संक्रमण और प्रशासन का प्रतिबंध बुधवार को जिले के पांढुर्णा के गोटमार मेले में परंपरा के नाम पर दो गांवों के लोगों के बीच हुई पत्थरबाजी को नहीं रोक सकी। यहां करीब 500 पुलिसकर्मियों और कई अधिकारी मौजूद थे। इसके बावजूद पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों ने एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए। इसमें 110 से अधिक लोग घायल हो गए।
कोराना के संक्रमण को देखते हुए गोटमार मेले पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया था। मंगलवार को कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित स्थानीय प्रशासन के आला अधिकारियों ने बैठक ली थी, जिसमें गोटमार मेले को रोकने को लेकर तैयारी की गई थी। यहां दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सात एसडीओपी, दस थाना प्रभारी, 30 एसआई, 50 एएसआई और लगभग 500 एसएफ, होमगार्ड, वन विभाग और जिला पुलिस बल तैनात किए गए थे। पुलिस झंडे की निगरानी पुलिस करती रही। इसके बाद भी न सिर्फ पांढुर्णा और सावरगांव के लोग जाम नदी के किनारे एकजुट हुए, बल्कि जमकर पत्थर भी चले। हर साल की तरह इस साल घायलों के इलाज के लिए शिविर नहीं लगाया गया था। एसपी विवेक अग्रवाल के अनुसार शिविर नहीं लगने के कारण घायलों की संख्या का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन बताया जा रहा है कि 110 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए इस साल गोटमार मेले में पत्थरबाजी न हो, इसके लिए 500 पुलिसकर्मी तैनात किए थे। मंगलवार रात को क्षेत्र से पत्थर हटवा दिए गए थे। इसके बाद भी लोगों ने पत्थर जमा कर लिए थे। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो वे भी पत्थरबाजी का शिकार हो गए। दूसरी तरफ पांढुर्णा - सावरगांव के लोगों ने गोटमार मेले की पूर्व संध्या पर भी मंगलवार की शाम को जमकर पत्थर चलाए। गोटमार मेले में घायल होने वाले लोगों के इलाज के लिए प्रशासन ने इस साल शिविर नहीं लगाया है, जबकि हर साल 8 से 10 शिविर लगाए जाते थे। इस पत्थरबाजी में अब तक सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं और 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
वर्षों पुरानी है परंपरा
बताया जाता है कि गोटमार मेले की शुरूआत 17 वीं इसवीं में हुई थी। इस परंपरा को लेकर मान्यता है कि सावरगांव की एक आदिवासी कन्या का पांढुर्णा के किसी लड़के से प्रेम हो गया था। दोनों ने चोरी छिपे प्रेम विवाह कर लिया। पांढुर्णा का लड़का साथियों के साथ सावरगांव जाकर लड़की को भगाकर अपने साथ ले जा रहा था। उस समय जाम नदी पर पुल नहीं था। नदी में गर्दन भर पानी रहता था, जिसे तैरकर या किसी की पीठ पर बैठकर पार किया जा सकता था और जब लड़का लड़की को लेकर नदी से जा रहा था तब सावरगांव के लोगों को पता चला और उन्होंने लड़के व उसके साथियों पर पत्थरों से हमला शुरू किया। जानकारी मिलने पर पहुंचे पांढुर्णा पक्ष के लोगों ने भी जवाब में पथराव शुरू कर दिया। दोनों गांवों के लोगों द्वारा किए गए पथराव से प्रेमी जोड़े की मौत हो गई। इसके बाद दोनों पक्षों के लोगों को अपनी शर्मिंदगी का अहसास हुआ और दोनों प्रेमियों के शवों को उठाकर किले पर मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा और पूजा-अर्चना करने के बाद दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसी घटना की याद में मां चंडिका की पूजा-अर्चना कर गोटमार मेले का आयोजन होता है।
विजयी जुलूस निकला
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छिंदवाड़ा। गोटमार मेले के समापन पर सावरगांव पक्ष ने पांढुर्णा पक्ष को झंडा सौंपा। जिसके बाद गोटमार मेला संपन्ना हुआ। इस दौरान सावरगांव पक्ष के युवाओं ने रैली निकाली ।
कलेक्टर ने किया दौरा
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छिंदवाड़ा। मेले पर नजर बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अमला मौजूद रहा। सौंसर एसडीएम मेघा शर्मा (बाएं से), डिप्टी कलेक्टर राजेश बाथम और कलेक्टर सौरभ सुमन ने किया दौरा।
एसपी और एएसपी रहे मौजूद
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छिंदवाड़ा। एसपी विवेक अग्रवाल और एएसपी शशांक गर्ग भी मौके पर मौजूद रहे। जो लगातार व्यवस्था का जायजा लेते रहे।
इस तरह गए घायल
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छिंदवाड़ा। घायलों के लिए इस बार कैंप नहीं बनाए गए, न ही कोई वाहन मौजूद था। घायलों को इस तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।