
बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। वेतन आयोग के संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference - ToR) को लेकर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में असंतोष है। विभिन्न कर्मचारी संघों ने ToR में संशोधन, 1 जनवरी 2026 से 8वें वेतन आयोग को लागू करने और महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) तथा महंगाई राहत (Dearness Relief - DR) का मूल वेतन (Basic Pay) में विलय जैसी प्रमुख मांगें उठाई हैं।
कर्मचारी संघों का तर्क है कि पिछले तीन दशकों में डीए की वृद्धि खुदरा महंगाई के अनुरूप नहीं रही है। डीए अब 50% की सीमा को पार कर चुका है, जिसके बाद इसे मूल वेतन में विलय करने की आवश्यकता है।
डीए का मूल वेतन में विलय होने से 1.2 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को तत्काल बड़ी राहत मिल सकती है। चूँकि अधिकांश भत्ते और पेंशन घटक मूल वेतन के आधार पर ही तय किए जाते हैं, इसलिए मूल वेतन में डीए/डीआर के विलय से सैलरी और रिटायरमेंट लाभों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले छठे वेतन आयोग से पहले 2004 में डीए का विलय किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई थी।
कर्मचारी संघों ने 8वें वेतन आयोग के ToR को लेकर कई चिंताएं जताई हैं। 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स' ने मांग की है कि ToR में संशोधन किया जाए और कर्मचारी संघों के सुझावों को शामिल किया जाए। उनकी अन्य प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में 8वें वेतन आयोग के ToR को मंजूरी दी थी। इससे 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा।
पिछले वेतन आयोगों के इतिहास को देखें, तो सरकार को सिफारिशों को लागू करने में आमतौर पर 18 से 24 महीने का समय लगता है। इसलिए, 8वें वेतन आयोग का कार्यान्वयन 2027 के मध्य से पहले होने की संभावना कम है, जबकि कुछ रिपोर्टों में इसे 2028 की शुरुआत तक भी टालने की बात कही गई है।
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