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बिजनेस डेस्क। भारत में अपना घर खरीदने का सपना देखने वालों के लिए अच्छी खबर है। नाइट फ्रैंक इंडिया की नवीनतम 'अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स रिपोर्ट' के अनुसार, बेहतर आय और होम लोन की ब्याज दरों में कमी के चलते देश के प्रमुख शहरों में घर खरीदना अब पहले से कहीं अधिक सुगम और किफायती हो गया है।
अहमदाबाद सबसे आगे, मुंबई में ऐतिहासिक सुधार रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात का अहमदाबाद 18 प्रतिशत (आय का हिस्सा) के साथ भारत का सबसे किफायती हाउसिंग मार्केट बनकर उभरा है। इसके बाद पुणे और कोलकाता 22 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
सबसे चौंकाने वाला और सकारात्मक बदलाव वित्तीय राजधानी मुंबई में देखा गया है। पहली बार मुंबई का अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स 50 प्रतिशत के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे गिरकर 47 प्रतिशत पर आ गया है। यह वही शहर है जहां 2010 में घर खरीदने के लिए आय का 93 प्रतिशत हिस्सा खर्च करना पड़ता था। 50 प्रतिशत से नीचे आने का मतलब है कि अब मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बैंकों से होम लोन मिलना और उसे चुकाना बहुत आसान हो गया है।
रेपो रेट में कटौती का बड़ा असर इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा फरवरी 2025 से रेपो रेट में की गई 125 बेसिस पॉइंट की कुल कटौती है। इसके चलते देश के आठ बड़े शहरों में से सात में घर खरीदना सस्ता हुआ है। दक्षिण भारत के शहरों की बात करें तो चेन्नई 23 प्रतिशत, बेंगलुरु 27 प्रतिशत और हैदराबाद 30 प्रतिशत पर है।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ी कीमतें वहीं, दिल्ली-एनसीआर इकलौता ऐसा क्षेत्र रहा जहां किफायती होने की दर 27 से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई। इसका मुख्य कारण यहां लग्जरी और प्रीमियम सेगमेंट के घरों की बढ़ती डिमांड और ऊंची कीमतें हैं। हालांकि, यह भी 50 प्रतिशत के थ्रेशहोल्ड से काफी नीचे है, जो किसी बड़े खतरे का संकेत नहीं है।
कुल मिलाकर, अहमदाबाद, पुणे और कोलकाता जैसे शहरों में आय में वृद्धि और कम ब्याज दरों ने रियल एस्टेट बाजार में एक स्थिर मांग पैदा की है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत है।
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