प्रॉपर्टी की तेजी से बढ़ती कीमतों के बीच आजकल घर खरीदने के लिए होम लेना ही पड़ता है। हालांकि छोटे शहरों के ग्राहकों या नए खरीददारों को अक्सर लोन लेने में कई परेशानियां होती हैं। इसी सिलसिले में हमने बात की बेसिक होम लोन के सीईओ अतुल मोंगा के साथ। यहां हम आपके लिए लेकर आए हैं इसी बातचीत के कुछ अंश।
छोटे शहरों में ज़्यादातर लोगों के पास फॉर्मल इंकम प्रूफ या क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती, अक्सर वे फाइनैंशियल पहलुओं के बारे में ज़्यादा नहीं जानते। ऐसे में वे लोन की प्रक्रिया को लेकर उलझन में रहते हैं। कई बार उनके पास पूरे डॉक्यूमेन्ट्स नहीं होते, तो कुछ शहरों में उन्हें लोन के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं मिल पाते। बैंक भी लोन देने से पहले प्रॉपर्टी का फिज़िकल वैरिफिकेशन करते हैं, इस वजह से उन्हें लोन मिलने में मुश्किलें आ सकती हैं।
आजकल बैंक और फिनटेक कंपनियां ग्राहकों की इन मुश्किलों को आसान बना रही हैं। बेसिक होम लोन में हम फिजिटल दृष्टिकोण अपनाते हैं, जहां स्थानीय एजेंट्स का नेटवर्क और डिजिटल टूल्स एक साथ मिलकर लोन की प्रक्रिया को आसान बना देते हैं। ये एजेंट सीधे ग्राहकों के साथ मिलकर काम करते हैं, उन्हें हर ज़रूरी मार्गदर्शन प्रदान कर, उनका भरोसा जीतते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहकों को कम से पेपरवर्क करना पड़े, जिससे लोन लेना आसान हो जाए।
होम लोन की बात करें तो लास्ट माइल कनेक्ट अपने आप में बड़ी चुनौती है, खासतौर पर छोटे शहरों में, जहां डिजिटल सुविधाओं की पहुंच कम है। यहां इंटरनेट का नेटवर्क अच्छा न होने, डॉक्यूमेंट्स पूरे न होने के कारण मुश्किलें आती हैं। इन इलाकों में ग्राहक लोन के बारे में जागरुक नहीं होते, जिसके चलते बैंक के लिए ग्राहक का प्रोफाइल जानना मुश्किल हो जाता है।
बहुत से लोग ऑनलाईन प्रक्रिया में भरोसा नहीं कर पाते, उन्हें डर होता है कि कहीं उनके साथ धोखाधड़ी न हो जाए, मुश्किल पेपरवर्क को समझना उनके लिए आसान नहीं होता है। अक्सर जान-पहचान के किसी व्यक्ति की मदद न मिलने के कारण वे लोन लेने का विचार ही छोड़ देते हैं।
अच्छी बात यह है कि अब चीज़ें बदल रहीं हैं, फिनटेक एवं डिजिटल सुविधाओं में सुधार हो रहा है, इस कारण लोन लेना अब पहले से कहीं आसान हो गया है।
ऐसे इलाकों में प्रॉपर्टी टाइटल पूरा न होना सबसे बड़ी मुश्किल होती है, जिस वजह से कानूनी कार्रवाई में बाधा आती है और लोन अप्रूव नहीं हो पाता। ऐसे स्थानों पर रेरा-अप्रूव्ड प्रोजेक्ट्स नहीं होते, जिससे ग्राहक और बैंक दोनों के लिए ही जोखिम बढ़ जाता है।
साथ ही इन इलाकों के लोग होम लोन, पेपरवर्क, ब्याज़ दर, ज़रूरी डॉक्यूमेन्ट्स आदि के बारे में नहीं जानते। यहां आमतौर पर एक चीज़ देखने को मिलती है कि प्रॉपर्टी की कीमत काफी कम होती है, जबकि बैंक की न्यूनतम लोन राशि ही इससे ज़्यादा होती है। इस वजह से भी ग्राहकों को लोन नहीं मिल पाता।
बेसिक होम लोन जैसे फिनटेक और स्थानीय रियल एस्टेट डेवलपर्स इन मुश्किलों को हल करने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक ग्राहकों के लिए लोन लेना आसान हो जाए। वे ग्राहकों को ज़रूरी जानकारी देते हैं, पेपरवर्क को सरल बनाते हैं। ऐसे में आने वाले समय में उन लोगों के लिए भी घर खरीदना आसान हो जाएगा, जो अब तक होम लोन जैसी सेवाओं से वंचित थे।
हमारे देश में यह इंडस्ट्री काफी बदल रही है, खासतौर पर महानगरों के दायरे से आगे बढ़कर छोटे शहरों की तरफ़ जाएं, तो कई बदलाव देखने के मिलते हैं। प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड, ई-केवायसी, प्रॉपर्टी की ज्यो-टैगिंग - इन सभी पहलुओं ने इंडस्ट्री की कई मुश्किलों को आसान बनाया है।
आजकल एआई से क्रेडिट स्कोर की गणना हो जाती है, इस तरह उन लोगों की मुश्किलों भी हल हुई हैं, जिनकी फॉर्मल इंकम या क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती। रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म्स पर फाइनैंस के भी ढेरों विकल्प हैं, इन सब कारणों से ग्राहकों के लिए लोन लेना आसान हो रहा है।
तो आने वाले समय में भारत में घर खरीदने की प्रक्रिया पर हाइपरलोकल सपोर्ट, स्मार्ट एवं स्केलेबल टेक्नोलॉजी का असर साफ़ तौर पर देखने को मिलेगा। देश के हर कोने में लोग उतनी ही आसानी से होम लोन ले सकेंगे, जितना आसान यह बड़े महानगरां में है। अतुल मोंगा- सीईओ एवं सह-संस्थापक, बेसिक होम लोन की ओर से कुछ इनपुट्स