
बिजनेस डेस्क। सर्दियों के आते ही अंडों की मांग तेज हो जाती है और इसके साथ ही कीमतों में उछाल भी देखने को मिलता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी एक ही क्षेत्र निभा रहा है दक्षिण भारत। खासतौर पर आंध्र प्रदेश, जो पूरे देश को सबसे ज्यादा अंडे उपलब्ध कराता है।
नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024-25 में भारत में 149.11 अरब अंडों के उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.44% अधिक है। पिछले दस वर्षों में भी देश का अंडा उत्पादन लगातार बढ़ा है और इसमें औसतन 3.18% की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
प्रति व्यक्ति अंडा उपलब्धता के मामले में भी भारत ने लंबी छलांग लगाई है। 2014-15 में जहां एक व्यक्ति के हिस्से साल में 62 अंडे आते थे, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 106 अंडे पहुंच गया है। यही कारण है कि आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश बन चुका है।
देश के कुल अंडा उत्पादन में सबसे बड़ा योगदान आंध्र प्रदेश का है। यहां से पूरे देश के अंडों का करीब 18.37% हिस्सा आता है। इसके बाद क्रम इस प्रकार है।
आंध्र प्रदेश- 18.37%
तमिलनाडु- 15.63%
तेलंगाना- 12.98%
पश्चिम बंगाल- 10.72%
कर्नाटक- 6.67%
भारत में उत्पादित कुल अंडों में से 84.49% आधुनिक कमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग से आते हैं। जबकि देसी/बैकयार्ड मुर्गियों का हिस्सा सिर्फ 15.51% है। यह साफ दर्शाता है कि बड़े पैमाने की पोल्ट्री फार्मिंग ने देश को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि ठंड में भले ही कीमतें बढ़ें, लेकिन दक्षिण भारत की मजबूत सप्लाई चेन की वजह से देश में कभी वास्तविक कमी नहीं होती। आने वाले वर्षों में भी आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्य अंडा उत्पादन में अपनी बढ़त बनाए रखेंगे। भारत का एग सेक्टर न सिर्फ तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि संगठित कृषि किस तरह पूरे देश की पोषण आवश्यकताओं को संभाल सकती है।