पीएमजेडीवाई खाताधारकों और लाभार्थियों के लिए बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने की निश्चित आवश्यकता है। बदलाव की इस यात्रा के तहत बैंक अतिरिक्त विकल्प और सिक्योरिटी फीचर के तौर पर जल्द ही क्यूआर कोड आधारित नकदी और गैर-नकदी (नॉन-कैश) लेनदेन की सुविधा देंगे. इससे भारत में बुनियादी बैंकिंग सेवाएं तक पहुंच और सुगम हो जाएगा। देश के अंदरूनी इलाकों में विकास का समर्थन करने के लिए व्यापक एवं सघन एटीएम नेटवर्क मददगार होगा और डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स के माध्यम से भारत के डिजिटल बैंकिंग अभियान को भी बढ़ावा देगा। ये डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स स्वयं-सेवा एवं सहायक मोड दोनों में डिजिटल बैंकिंग उत्पादों व सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों की सेवा मुहैया कराने के लिए स्थापित किए जा रहे हैं, जो बैंक की शाखाओं में बदलाव लाने की मुहिम को भी आगे बढ़ा रहे हैं

भारत का वित्तीय क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि लाने और वित्तीय समावेशन के लिए एक टिकाऊ राह तैयार करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। सरकार ने भारत में बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच और इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्व बैंक की ग्लोबल फिनडेक्स रिपोर्ट के अनुसार, 44 करोड़ से अधिक प्रधानमंत्री जन-धन (PMJDY) खातों के बाद भी भारत उन सात देशों में शामिल है, जहां दुनिया के 1.4 बिलियन वयस्कों में से आधे के पास औपचारिक बैंकिंग तक पहुंच नहीं है।

भारत में बैंकिंग कवरेज के विस्तार में बैंक शाखाएं और एटीएम दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और वित्तीय समावेशन पर भी इनका अहम असर होता है. जहां पूरी तरह से बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां एटीएम भी बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, वित्त वर्ष 22 में माइक्रो-एटीएम (एमएटीएम) लगाए जाने की रफ्तार ने कार्ड, पीपीआई और एटीएम की वृद्धि को पीछे छोड़ दिया. वित्त वर्ष 21 में 49% की उच्च सालाना वृद्धि के आधार के बाद भी माइक्रो एटीएम को लगाए जाने में वित्त वर्ष में 93% की मजबूत वृद्धि हुई. इसके बाद 45% की वृद्धि के साथ प्रीपेड कार्ड का स्थान रहा. आरबीआई द्वारा एटीएम से बिना कार्ड के कैश निकालने की सुविधा देना आज के कैश लॉजिस्टिक इकोसिस्टम की परिपक्वता और सुरक्षा का एक अन्य संकेत है।

महामारी से संबंधित आर्थिक व्यवधानों के बावजूद कैश लॉजिस्टिक्स कंपनियों ने पिछले 2 सालों में यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि लोगों और व्यवसायों तक हमेशा नकदी पहुंचे. इन कंपनियों ने न केवल व्यापक वित्तीय समावेशन सुनिश्चित किया है, बल्कि देश के अंतिम छोर तक पहुंचने की आवश्यकता ने कार्यबल में मजबूत रोजगार सृजन में योगदान दिया है।

टिकाऊ वित्तीय समावेशन की राह: बैकिंग इकोसिस्टम कैश लॉजिस्टिक्स और प्रौद्योगिकी के समाधानों का एक पूरा समूह पेश कर वित्तीय समावेशन और वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कैश लॉजिस्टिक्स सेवाओं में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनियों के पास कस्बों और जिलों में एक गहन नेटवर्क है। यह पहुंच कंपनियों को आर्थिक विषमताओं को कम करने, वित्तीय प्लेटफॉर्म तक आसान पहुंच प्रदान करने और हमारे देश के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। औपचारिक वित्तीय समावेशन की पहलों में वृद्धि के साथ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के सालाना 6% की दर से बढ़ने का अनुमान है। भारत में एक बड़ा अनौपचारिक क्षेत्र है, जिसे अभी भी इस औपचारिक क्षेत्र के दायरे में आने की आवश्यकता है।

आगे यह है संभावना

मंजूनाथ राव , प्रेसिडेंट , म्यानेजड सर्विसेज , सीएमएस इंफो सिस्टम्स लिमिटेड का कहना है कि आज के समय में मांग व आपूर्ति दोनों पक्ष बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहे हैं और एक आर्थिक रूप से समावेशी समाज का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा नई प्रौद्योगिकियों ने लोगों के लिए मूलभूत बैंकिंग आवश्यकताओं तक पहुंच को आसान बना दिया है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि भारत स्वदेशी व नवोन्मेषी बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के नए अवसरों और नए सुधारों के साथ वित्तीय समावेशन के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेगा।

Posted By: Navodit Saktawat

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