भोपाल गैस त्रासदी की आज 41वीं बरसी है, इसका असर हादसे में बचे लोगों और उनकी आगे की पीढ़ियों पर साफ नजर आ रहा है। पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का कचरा तो नष्ट कर दिया गया है, लेकिन शहर के लोगों की आंखों में उस त्रासदी का खौफ अब भी बरकरार है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में तीन दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से रिसी जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। हादसे में जो लोग बच गए उनके शरीर पर गैस का बुरा प्रभाव हुआ और इसका असर अब 40 साल बाद भी तीसरी पीढ़ी में भी देखने को मिल रहा है। गैस त्रासदी से प्रभावित दंपती के बच्चों में इसका असर साफ दिखा। भोपाल में हुए देश के सबसे भयावह हादसे के बाद अब जाकर यूनियन कार्बाइड का कचरे को नष्ट किया गया।