
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर: सूरजपुर जिले के भैसामुंडा से लगे जंगल में बाघ का शव मिला है। बाघ के मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। जंगली सूअर के शिकार के लिए बिछाए गए बिजली तरंगित तार के संपर्क में आने से बाघ के मौत की संभावना जताई जा रही है, इसके पहले इस क्षेत्र में करंट से हाथियों की मौत होती थी। पहली बार बाघ का शव मिला है। शव से नाखून और दांत गायब होने की खबर है हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बाघ का शव तीन से चार दिन पुराना बताया जा रहा है।
घटना की सूचना मिलते ही फॉरेंसिक टीम, पशु चिकित्सकों की टीम और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं। शव का परीक्षण किया जा रहा है और पूरे घटनाक्रम की गहन जांच जारी है। यह इलाका दूरस्थ और घने जंगलों वाला होने के कारण अधिकारियों से संपर्क में भी कठिनाई आ रही है।

स्थानीय स्तर पर यह जानकारी भी सामने आई है कि मृत बाघ के नाखून और दांत निकाले जाने की आशंका है। हालांकि इस संबंध में वन विभाग द्वारा कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। अधिकारी घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र में बारीकी से जांच कर रहे हैं और हर पहलू को खंगाला जा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह वही बाघ हो सकता है, जिसे दो-तीन वर्ष पूर्व वाड्रफनगर और प्रतापपुर क्षेत्र में देखा गया था। उस दौरान बाघ की मौजूदगी के संकेत के रूप में पंजों के निशान भी मिले थे। ट्रैप कैमरे में भी बाघ की तस्वीर सामने आई थी। सूरजपुर जिले में पिछले कुछ वर्षों से बाघों का लगातार विचरण हो रहा है। विशेष रूप से सूरजपुर और कोरिया जिले की सीमावर्ती टेमरी क्षेत्र व आसपास के जंगलों में बाघ की गतिविधियां देखी जाती रही हैं।
गौरतलब है कि यह क्षेत्र हाथियों के विचरण वाला है। पहले इस क्षेत्र में करंट से हाथियों की मौत की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन पहली बार किसी बाघ की मौत इस तरह होने की खबर ने अधिकारियों को भी सकते में ला दिया है।
सूरजपुर जिले के कुदरगढ़ रेंज में करीब दो साल पहले बाघ द्वारा दो ग्रामीणों पर हमला किए जाने की घटना भी सामने आई थी, जिसमें दोनों ग्रामीणों की मौत हो गई थी। उस घटना में ग्रामीणों द्वारा टांगी से वार किए जाने पर बाघ के घायल होने पर उसका रेस्क्यू और उपचार कराया गया था।
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लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद वन विभाग की कार्यप्रणाली और बाघों के संरक्षण को लेकर उठाए जा रहे कदमों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध करंट तारों का उपयोग, मानव-वन्यजीव संघर्ष और निगरानी व्यवस्था की कमजोरियों पर अधिकारी हर बार बोलने से बचते रहे हैं।फिलहाल वन विभाग की टीम जांच में जुटी हुई है और पोस्टमार्टम व फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही बाघ की मौत के वास्तविक कारणों का खुलासा हो सकेगा।