अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर और धमनी वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती गांव बराहनगर में विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के लोगों को आगे कर वनभूमि पर कब्जे की कोशिश विफल कर दी गई है। पंडो जनजाति के लोगों का मकान तोड़ने के आरोप की सच्चाई सामने लाने वन विभाग ने गूगल मैप का सहारा लिया है। गूगल मैप के माध्यम से वन विभाग यह प्रमाणित करने जा रहा है कि जमीन पर कई वषोर् से नहीं बल्कि कुछ दिन पहले बांस, लकड़ी, प्लास्टिक और तिरपाल लगाकर कब्जे की कोशिश की गई थी जिसे वन विभाग द्वारा हटाया गया तो मकान तोड़ने का आरोप लगाया गया है। मामले को जिला प्रशासन ने भी गंभीरता से लिया है। ग्रामीणों को बहकाकर पहले ही वन भूमि पर कब्जा करने वाले रामजन्म यादव नामक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
विशेष सरंक्षित पंडो जनजाति के लोगों का घर तोड़ने के गंभीर आरोप की वन विभाग ने जांच भी कराई है। बलरामपुर वनमण्डलाधिकारी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि वाड्रफनगर और धमनी वन परिक्षेत्र का सीमावर्ती ग्राम बैकुंठपुर है। यह वाड्रफनगर रेंज में आता है। यहां के एक व्यक्ति द्वारा धमनी रेंज के बराहनगर गांव में जंगल से लगे नाले के पास जमीन पर कब्जा किया गया है। नाला के नजदीक जमीन पर खेती भी की गई है। दूसरे गांव के व्यक्ति द्वारा बराहनगर में वनभूमि पर कब्जे को लेकर गांव के लोगों ने आपत्ति की थी। वन विभाग तक शिकायत पहुंची थी। मौके पर जाकर वन कर्मियों ने स्थल निरीक्षण भी किया था। कब्जाधारी रामजन्म यादव को यह आभास हो गया था कि अब उसका कब्जा हटाया जाएगा। डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने बताया कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही के डर से रामजन्म यादव द्वारा सुनियोजित तरीके से अपने गांव के कुछ पंडो को बहकाकर जमीन पर कब्जा कराने साजिश रची गई ताकि पंडो की आड़ में उसका कब्जा भी बच जाए और भविष्य में उसका रकबा भी बढ़ जाएं। उन्होंने दावा किया कि विशेष सरंक्षित पंडो जनजाति के लोगों को बकायदा प्लास्टिक, तिरपाल, बांस और लकड़ी भी उपलब्ध कराया गया था। पंडो लोगों ने झोपड़ी बनानी शुरू कर दी थी। दूसरे गांव के लोगों द्वारा जमीन पर कब्जा का बराहनगर के लोगों ने विरोध भी किया था। दोनों पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए थे। इसका बराहनगर गांव के लोगों ने विरोध किया और उन्होंने कहा कि यह उनके गांव की सीमा का जंगल है। इसे वह निस्तार के लिए बचा कर रखे हैं। शिकायत पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी। वीरेंद्रनगर, बाराहनगर के काफी लोग भी मौके पर पहुंचे थे। अस्थायी झाला और कब्जा करने के लिए लगाए गए बांस, बल्ली को हटा दिया गया था। जिन लोगों के द्वारा कब्जा किया जा रहा था उनका वाड्रफनगर ब्लाक के बैकुंठपुर में मकान भी है। वन विभाग के द्वारा ना तो किसी से मारपीट की गई है और ना ही किसी का घर-मकान तोड़ा गया है। कार्रवाई अनाधिकृत तरीके से कब्जे के प्रयास को लेकर हुई है। प्रारंभिक जांच में ही सच्चाई सामने आ जाने के बाद रामजन्म यादव द्वारा विशेष सरंक्षित पंडो जनजाति के लोगों को कुछ बर्तन और समान भी उपलब्ध कराया गया था ताकि यह बताया जा सके कि वे वर्षो से वहां झोपड़ी बनाकर निवास कर रहे थे जबकि वास्तविकता यह थी कि सभी पंडो का मुख्य बस्ती में अपना मकान है। नया कब्जा करने की कोशिश में वे लगे हुए थे। अब सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए वन विभाग गूगल मैप का सहारा लेने जा रही है। डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने बताया कि गूगल मैप से विभाग यह प्रमाणित करेगा कि न तो वहां किसी का मकान था और न ही लोग वहां निवास करते थे। कुछ दिन पहले ही झोपड़ी बनाना शुरू किया गया था।गूगल मैप से स्पष्ट हो जाएगा कि मकान तोड़ने का सारा आरोप निराधार और बेबुनियाद है। उन्होंने बताया कि मामले में रामजन्म यादव के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
शुरू हुई सियासत-
वनभूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की भनक लगते ही विशेष सरंक्षित पंडो जनजाति के लोगों को आगे कर पूरे मामले को राजनैतिक रंग देने की भी कोशिश की जा रही है। पंडो लोगों की बीमारी से मौतों पर प्रशासन पहले ही कटघरे में है।अब वन विभाग की कार्यवाही पर सवाल उठाकर स्थानीय भाजपा नेता मौके पर पहुंच सरकार और वन विभाग पर हमला करने की कोशिश कर रहे है। वन विभाग की कार्रवाई के दायरे में आए रामजन्म यादव द्वारा खुद को पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का नजदीकी बताकर माहौल बनाने की भी कोशिश की जा रही है।
गांववालों ने भी किया विरोध-
ग्राम बराहनगर की सीमा पर स्थित वन भूमि पर बैकुंठपुर गांव के लोगों द्वारा कब्जा किए जाने का विरोध बराहनगर के ग्रामीण भी कर रहे है।उनका कहना है कि उक्त जमीन का उपयोग वे निस्तारी और मवेशियों की चराई के लिए करते है। दूसरे गांव के लोगों को उक्त जमीन पर कब्जा करने नहीं देंगे।