
अंबिकापुर। आवाज की दुनिया के जादूगर, वर्षों विविध भारती में अपनी आवाज से श्रोताओं को मोहित करने वाले कमल शर्मा का सरगुजा आगमन हुआ। यहां के उच्च विश्राम गृह में रेडियो से जुड़े लोगों ने उनसे मुलाकात की। सभी से उन्होंने आत्मीय चर्चा की और रेडियो से जुड़ी पुरानी यादों को साझा किया। कमल शर्मा की आवाज सुनकर लोग इतने मोहित हुए कि मानो उनके सामने वे सशरीर नहीं बल्कि रेडियो में उनकी आवाज सुन रहे हैं। आकाशवाणी अंबिकापुर के पुराने कलाकारों और उद्घोषकों के साथ कंपेयरों से उन्होंने लंबी बातचीत की। उन्होंने कहा कि रेडियो का जमाना अब वैसा नहीं रहा। कभी रेडियो से जुड़े लोग रेडियो की दुनिया में ही खो जाते थे। रेडियो में अब वैसे लोग भी नहीं रहे। रेडियो अकादमिक और इंजीनियरिंग क्षेत्र के लोगों के लिए नहीं है बल्कि शुद्ध रूप से कलाकारों के लिए है।उनकी कला, खासकर बोलने का नाटकीय अंदाज, सुमधुर आवाज श्रोताओं को आकर्षित करती है। कलाकार ही रेडियो को शानदार बनाते हैं। रेडियो कला और कलाकारों की है, दूसरे से नहीं चला सकते।वर्षों विविध भारती में मुझे काम करने का मौका मिला। लाखों श्रोताओं से मैं सीधे जुड़ा था और सेवानिवृत्ति के बाद भी लोगों से जुड़ा ही हूं।उन्होंने कहा कि आकाशवाणी को जिन लोगों को सजाने संवारने की जिम्मेदारी है वे लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं। रेडियो का खूब प्रयोग कर रहे हैं पर रेडियो की व्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं है। रणनीतिकार और नेतृत्व कर्ताओं के लिए रेडियो आय का जरिया नहीं है यही कारण है कि ध्यान नहीं दिया जाता।बीएसएनएल की तरह आकाशवाणी भी अब आंसू बहाने लगा है। रेडियो से जुड़े लोगों के लिए यह काफी दुखद स्थिति है।उन्होंने कहा कि सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल में आकाशवाणी की स्थापना और तमाम कलाकारों को मौका मिलना अपने आप में बड़ा विषय है। इसके बावजूद स्थिति ठीक न होना चिंताजनक बात है।उन्होंने कहा कि रेडियो को आज भी जिंदा किया जा सकता है बस जरूरत है नेक सोच की और रेडियो को जीवंत कलाकारों की।इन कलाकारों की आवाज की बदौलत रेडियो से लोग चिपके होते हैं। सरगुज़ा के संदर्भ में उन्होंने स्थानीय कलाकारों और रेडियो से जुड़ेे लोगों से लंबी बातचीत की। आकाशवाणी अंबिकापुर के सेवानिवृत्ति कार्यक्रम अधिकारी व अपनी आवाज से श्रोताओं को जोड़े रखने वाले, नाटकों के निर्देशक व साहित्यकार तपन बनर्जी को भी उन्होंने याद किया। इस दौरान रेडियो से जुड़ेे सेवानिवृत्त वरिष्ठ उद्घोषक सोभनाथ साहू,कृष्ण कुमार त्रिपाठी ,चरणजीत कौर सिद्धू, पद्मनाभ शर्मा, शबनम खानम, अंजनी कुमार पांडे, कृष्णानंद तिवारी,मनोज भारती,देवेंद्र दास सोनवानी, तरुण चेनानी, मनीष सोनी व अन्य उपस्थित थे।