
अंबिकापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में आदिवासी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को सामने लाने के लिए आदिवासी फैशन शो का आयोजन किया जा रहा है। इसमें आदिवासियों के पारंपरिक परिधान व आभूषण धारण कर रैंप में जलवा बिखेरा जाएगा। यही नहीं, कैटवाक से पहले स्थानीय स्तर पर सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। आयोजन के माध्यम से बलरामपुर जिला प्रशासन आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। यह आयोजन तीन दिवसीय तातापानी महोत्सव के दौरान एक विधा के रूप में रहेगा।तातापानी महोत्सव का आयोजन 14 जनवरी से 16 जनवरी 2024 तक किया जा रहा है। इसी महोत्सव के अंतिम दिन आदिवासी फैशन शो प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहेगा। उत्तर छत्तीसगढ़ में यह पहला आयोजन है जिसमें किसी महोत्सव के मंच पर आदिवासियों के आभूषण,परिधान के साथ प्रतिभागी रैंप पर कैटवाक करते नजर आएंगे। यह सारा आयोजन आदिवासी कला,संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा।आयोजन में सिर्फ आदिवासी ही नहीं सामान्य वर्ग के प्रतिभागी भी हिस्सा ले रहे हैं।इसके पंजीयन को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। स्कूल,कालेज के विद्यार्थियों के साथ युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। प्रशासन की ओर से यह आयोजन होगा।
आदिवासी फैशन शो ही क्यों
उत्तर छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल है। आदिवासी संस्कृति और सभ्यता बेहद समृद्ध और विविधताओं को समेटे हुए हैं। इनके अपने परिधान,आभूषण,लोक गीत,संगीत,नृत्य भी हैं। उत्तर छत्तीसगढ़ में ही रहने वाले लोग इससे अनजान है ऐसे में जनमानस को इस पंरपरा,संस्कृति से अवगत कराना प्रमुख उद्देश्य है। बदलते दौर में फैशन, माडलिंग बेहतर भविष्य का संकेत भी है। करियर से भी सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इससे झिझक दूर होती है। आत्मविश्वास बढ़ता है ऐसे में प्रतिभागियों को बेहतर अवसर भी दिया जा रहा है। इस आयोजन से वे इस क्षेत्र में आगे भी बढ़ सकते है।भविष्य में मौका मिला तो वे इसे करियर के रूप में भी चुन सकते हैं। बलरामपुर जिला प्रशासन भी इस आयोजन के माध्यम से यह देख रही है कि जनता का रूझान कितना है। ताकि भविष्य में और वृहद स्तर पर आयोजन को किया जा सके।
इसलिए प्रसिद्ध है तातापानी
बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित तातापानी प्राकृतिक रूप से निकलने वाले गर्म जल के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कुण्डों में धरातल से गर्म पानी निकलता है। स्थानीय भाषा में ताता का अर्थ होता है गर्म। इसलिए इस स्थल का नाम तातापानी रखा गया है। यहां के शिव मंदिर में पुरानी मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा प्रशासनिक स्तर पर यहां कई फीट ऊंची शिव की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अलावा बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति भी स्थापित की गई है। हर वर्ष मकर संक्रान्ति पर छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड,उत्तरप्रदेश से भी लोग यहां आते है। इस दौरान यहां विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें पर्यटक झूलों, मीना बज़ार व अन्य दुकानों का मज़ा लेते हैं। प्रशासनिक स्तर पर यहां तीन दिनों का महोत्सव आयोजित किया जाता है। यहां विकास की झलक भी शासकीय स्टालों के माध्यम से दिखाई देती है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी पहचान दिलाने का प्रयास हो रहा है।
तातापानी के गर्म जल के पीछे विज्ञानियों का मानना है कि यहां जमीन में भारी मात्रा में सल्फर पाया जाता है, जिसके कारण वहां की जमीन का पानी गर्म हो जाता है। इस गर्म पानी के रहस्य को जानने के लिए देश और विदेशों से विज्ञानी आ चुके हैं।पानी में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण चर्म रोग भी ठीक होने का दावा किया जाता है। स्थानीय लोग तो यह भी दावा करते हैं कि कुंडों में पानी इतना गर्म रहता है कि उसमें अंडा भी उबल जाता है।
इनका कहना
आदिवासी परिधान,आभूषण,संस्कृति को सामने लाने के साथ प्रतिभागियों में आत्मविश्वास बढाने जिला प्रशासन द्वारा तातापानी महोत्सव के दौरान आदिवासी फैशन शो का आयोजन किया जा रहा है। आधुनिकता के दौर में फैशन डिजाइनिंग,माडलिंग बेहतर करियर भी है इस दिशा में भी प्रतिभागियों को आगे बढाने की मंशा है। हम प्रतिभागियों को बकायदा प्रशिक्षण भी देंगे। इस फील्ड में काम करने वाले लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इस क्षेत्र में आगे और वृहद आयोजन की संभावनाएं भी देखी जाएगी।
रेना जमील (आइएएस)
मुख्य कार्यपालन अधिकारी,जिला पंचायत बलरामपुर