नईदुनिया न्यूज, दल्लीराजहरा। बालोद जिले में डिजिटल सिग्नेचर की अनिवार्यता के नाम पर लगभग 50 लाख रुपये की अवैध वसूली का मामला सामने आया है। आरोप है कि यह वसूली विकासखंड स्रोत समन्वयकों (बीआरसी) और रायपुर की डिजिटल सिग्नेचर प्रदाता कंपनी के सहयोग से की गई। रचना तिवारी को कंपनी का प्रमुख बताया जा रहा है।
शिक्षक संघ ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, जबकि शिक्षा विभाग इस पर चुप्पी साधे हुए है। ऐसे मामले वर्ष 2022 में रायपुर जिले के आरंग और धरसींवा विकासखंड में भी सामने आ चुके हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी का पक्ष नहीं मिल पाया है।
यह मामला तब उजागर हुआ जब छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ, दुर्ग संभाग के अध्यक्ष भुवन सिन्हा ने आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि न तो शिक्षा विभाग और न ही किसी अधिकृत सरकारी एजेंसी ने डिजिटल सिग्नेचर बनाने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद, विकासखंड समन्वयकों ने शिक्षकों से तीन-तीन हजार रुपये जमा कर डिजिटल सिग्नेचर बनवाने के लिए बाध्य किया। कई स्थानों पर बीआरसी कार्यालयों में शिविर आयोजित कर इसे अनिवार्य बताया गया।
सूत्रों के अनुसार, जिले के लगभग 1580 स्कूलों से प्रति स्कूल 3000 रुपये की वसूली की गई। शिक्षकों को बताया गया कि विभागीय कार्यों के लिए डिजिटल सिग्नेचर आवश्यक है, जबकि इनका कहीं भी उपयोग नहीं हुआ। पिछले चार वर्षों में इन पेन ड्राइव रूपी सिग्नेचर डिवाइसों का एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया गया। शिक्षकों को दी गई पावती में स्कूल का नाम, तारीख या हस्ताक्षर नहीं थे, जिससे यह कागज फर्जी प्रतीत होता है।
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शिक्षक संघ ने उच्च अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका जताई है। भुवन सिन्हा ने मानव संसाधन मंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की है। शिक्षक वर्ग में गहरा आक्रोश है और उन्होंने अवैध वसूली की राशि लौटाने तथा दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।