
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: संभाग में एचआइवी/एड्स के बढ़ते मरीज की संख्या का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2016 से 2025 तक जिले में 5108 एड्स मरीज मिल चुके हैं, हर दिन जिले में औसतन एक से दो नए मरीज की पहचान हो रही है। वहीं इस साल 30 नवंबर की स्थिति तक 11 महीने में 352 एड्स मरीज खोजे जा चुके हैं।
एड्स मरीजों के आकड़ों का खुलासा सिम्स के एआरटी सेंटर से हो रहा है, जो इनके मरीजों को खोजने के साथ उन्हें दवाओं के माध्यम से नया जीवन देने का काम अनवरत कर रही है। जानकारों के अनुसार चिंता की बात यह है कि अब भी आधे मरीजों की पहचान नहीं हो पाई है।
एक दिसंबर को पूरे विश्व में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से बचाना है। इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इस प्रयासों के बाद भी यह जानलेवा बीमारी नियंत्रण से बाहर है।
एचआईवी यानि एड्स एक ऐसा वायरस है जो हमारी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। इससे तरह तरह की बीमारियां लोगों को जल्द घेर लेती हैं। इसी अवस्था को एड्स कहते हैं।
सिम्स के एआरटी सेंटर में एड्स पीड़ितों का उपचार करने के साथ उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 2010 में सेंटर खुलने के बाद से लगातार मरीज सामने आ रहे हैं। 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 5000 पार हो चुकी है।
इस संबंध में एआरटी सेंटर का कहना है कि एचआइवी/एड्स के मरीजों को खोजने और उनके उपचार का प्रयास जारी है। लेकिन अब भी लोगों का इस बारे में जागरूक न होना सबसे बड़ी समस्या है। एक छोटी से गलती भी इस जानलेवा बीमारी से ग्रसित कर देती है।
एआरटी सेंटर के मुताबिक अब भी आधे मरीजों की पहचान नहीं हो पाई है। स्थिति को देखकर साफ है कि शासन द्बारा महज एआरटी सेंटर खोल देना काफी नहीं है। मरीजों की पहचान करने के लिए व्यापक प्रयास करने की जरूरत है। इसके बाद भी उनकी काउंसिलिग कर उपचार किया जा सकेगा।

जिले में इंजेक्शन से नशा करने वालों की बड़ी संख्या ओएसटी (ओरल सबटीयूएड थेरिपी) सेंटर में ऐसे तीन हजार से ज्यादा का उपचार चल रहा है, जो बार बार संक्रमित सुई का उपयोग करते हैं, जिनमे से 600 से ज्यादा एचआईवी से संक्रमित हुए हैं, इनमें से 30 से ज्यादा समय के साथ उपचार व जानकारी के अभाव में एड्स से ग्रसित हुए हैं।
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राज्य के एनएफएचएस-5 के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि पहले जहां 20 प्रतिशत महिलाओं को ही एचआईवी एड्स की जानकारी थी, वहीं अब 23 प्रतिशत महिलाओं को एचआईवी एड्स के बारे में पर्याप्त जानकारी है। इसके अतिरिक्त पहले 57 प्रतिशत महिलाएं ही जानतीं थीं कि शारीरिक सम्बन्ध के दौरान कंडोम के प्रयोग से एचआईवी एड्स से बचा जा सकता है। अब लगभग 76 प्रतिशत महिलाओं को इस बारे में पता है।