नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (MPSRTC) के 83 वर्षीय पूर्व बिल असिस्टेंट जागेश्वर प्रसाद अवधिया को लगभग चार दशक पुराने रिश्वत के मामले में दोष मुक्त कर दिया है। उन पर वर्ष 1985-86 में 100 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था।
24 अक्टूबर 1986 को अशोक कुमार वर्मा ने लोकायुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अवधिया ने उनकी सेवा अवधि के बकाया बिल को पास करने के लिए 100 रुपये की रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त की एक ट्रैप टीम ने उन्हें रायपुर में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। 9 दिसंबर 2004 को निचली अदालत ने अवधिया को दोषी ठहराया और एक साल की सजा के साथ 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
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अवधिया द्वारा दायर अपील पर जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अवैध रिश्वत की मांग और स्वीकृति को साबित करने में अभियोजन पक्ष की विफलता के कारण कार्यवाही अस्थिर हो गई है। इसलिए, अपीलकर्ता (अवधिया) के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं। इसलिए निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए अवधिया को दोष मुक्त किया जाता है। वहीं, पत्रकारों से बात करते हुए अवधिया ने कहा कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित होने के समान है। उन्होंने सरकार से पेंशन सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया।