
नईदुनिया न्यूज, जयरामनगर। भस्म, शिव पंचाक्षरी और रुद्राक्ष तीनों का विशेष महत्व है। ये तीनों शिव के प्रतिरूप है। इनके रोजाना दर्शन करने चाहिए। ये बातें शिव महापुराण के तीसरे दिन आचार्य नवीन पाठक ने कही। उन्होंने कहा जो शिव पंचाक्षरी का जाप करते हैं, वे स्वयं तीर्थराज हो जाते हैं।
हमारे जीवन में दीपदान का अलग महत्व है। आप पूजापाठ करो न करो। चाहे कोई कथा सुनें, हमारा उद्देश्य भक्ति की ओर ले जाना होता है। यदि हम अपने हाथों से बाती बनाकर मंदिर में देते हैं और बाती को पुजारी जला रहे हैं, तो उसका फल भी आपको जरूर प्राप्त हो रहा है। इसलिए प्रतिदिन मंदिरों में दीपदान करिए।
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय।।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवाय।।
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शि काराय नमः शिवाय।।
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवाय।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै य काराय नमः शिवाय।।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
शिव महापुराण में 24 हजार श्लोक हैं। सभी में शिव स्वयं विद्यमान है। व्यासजी ने सात संहिता में रचना की है। ब्रह्मदेव ने नारद को कथा सुनाई। नारद ने पूछा कि माता सती का शिवजी से विवाह हुआ और किसी कारणवश माता को शरीर त्यागना पड़ा ,उस कथा को सुनने की जिज्ञासा मन में है।
ब्रह्माजी ने कहा कि नारदजी केवल प्रश्न पूछने से आपका जीवन धन्य हो गया। जिस समय मनुष्य के मन में कथा सुनने का भाव उत्पन्न होता है, उस पल से वह भगवान से जुड़ जाता है। अगर नारदजी ब्रह्माजी से प्रश्न नहीं पूछते, तो हम सब शिव महापुराण नहीं सुन पाते।
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जिसका भगवान से संबंध है वही व्यक्ति प्रश्न पूछता है। राजा परीक्षित ने भी प्रश्न पूछा था और उसी समय उनका जीवन सफल हो गया । जिस समय हम कथा सुनने निकलते हैं हमारा उद्धार होना प्रारंभ हो जाता है। ब्रह्माजी के वामंग में विष्णु है और हृदय में स्वयं भगवान शिव हैं।
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हमें जीवन में बहुत सारी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तभी भगवत भक्ति की प्राप्ति होती है। कथा सुनने प्रफुल्ल चौहान, संजय पांडेय, शैलेश केडिया, रमेश थावाईत, हेमलाल ताम्रकार,विनोद पटेल, विनोद यादव, शशि तंबोली, पुरुषोत्तम साहू, शशिकांत टांक, पेटू काछी, एल हरिकृष्ण, कमल गुप्ता सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।