नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर के एक स्कूल परिसर में हुई तीन साल की बच्ची मुस्कान की मौत के मामले में परिवार को दो लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश विभु दत्त गुरु की बेंच ने कहा कि यह राशि एक माह के भीतर मृतका के माता-पिता को दी जाए और इसकी अनुपालन रिपोर्ट जिला कलेक्टर दाखिल करें।
बता दें कि 14 अगस्त को बिलासपुर के तालापारा घोड़ादाना स्कूल परिसर में आंगनबाड़ी के बाहर खेलते समय तीन साल की मुस्कान पर लोहे का पाइप गिर गया था। यह पाइप डीजे संचालक रोहित देवांगन ने लापरवाही से दीवार के सहारे रख दिया था। गंभीर चोट लगने पर बच्ची की मौत हो गई।
पुलिस जांच में हादसे की पुष्टि लापरवाही से हुई, जिसके बाद आरोपित डीजे संचालक और एक अन्य के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया। परिवार को भारतीय रेडक्रास सोसाइटी के माध्यम से ₹50,000 की सहायता दी जा चुकी है। वहीं अब हाई कोर्ट ने बच्ची के परिजनों को 2 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
राजस्व विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके प्रसाद ने राजस्व विभाग में सीधी भर्ती के तहत नौकरी प्राप्त करने वाले आरआइ राजस्व निरीक्षक और पटवारी से पदोन्त होकर आरआइ बनने वाले कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची अलग-अलग बनाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।
अलग-अलग वरिष्ठता सूची की मांग करते हुए हितेश कुमार एवं 35 अन्य राजस्व निरीक्षकों ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर थी कि दोनों धाराओं को एक ही वरिष्ठता सूची में रखा जाता है।
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इससे कम शैक्षणिक योग्यता वाले पदोन्नत पटवारी सीधी भर्ती वाले स्नातक निरीक्षकों से ऊपर आ जाते हैं। इसका असर यह होता है कि पदोन्नति के अवसर, जैसे कि सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख और नायब तहसीलदार जैसे उच्च पद, पदोन्नत होने वाले अमूमन 12वीं पास पटवारियों को मिल जाते हैं, जबकि सीधी भर्ती वाले डिग्रीधारी राजस्व निरीक्षक पीछे रह जाते हैं।