नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने परीक्षा कार्यक्रम बदलवाने की याचिका के मामले में एक अहम निर्णय दिया है। निर्णय में स्पष्ट किया है कि दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे छात्रों को परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश देने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। अदालत ने याचिका को रिट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विचार योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया।
यह आदेश 20 जून 2025 को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने पारित किया। याचिका सत्येन्द्र प्रकाश सूर्यवंशी द्वारा दायर की गई थी, जो स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि वे पं. सुंदरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय से एमएसडब्ल्यू और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से एलएलबी (तृतीय वर्ष, द्वितीय सेमेस्टर) की पढ़ाई साथ-साथ कर रहे हैं। ऐसे में दोनों संस्थानों में एक साथ परीक्षा होने से समस्या हो रही है।
राज्य शासन और दोनों विश्वविद्यालयों के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद, कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि, याचिकाकर्ता को यह अधिकार नहीं है कि वह दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की परीक्षा तिथियों में बदलाव के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश देने की मांग करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि, ऐसे मामलों में रिट याचिका दायर करना न्यायिक क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। अंततः याचिका खारिज कर दी गई।
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याचिकाकर्ता की मुख्य आपत्तियां ये थीं दोनों विश्वविद्यालयों की अंतिम परीक्षा तिथि में चार विषयों की परीक्षा एक ही दिन और समय पर निर्धारित है। उन्होंने यूजीसी की अधिसूचना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला देते हुए दो डिग्रियों की अनुमति का तर्क दिया। साथ ही कहा कि परीक्षा तिथियों का यह टकराव अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है।