
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। ऑनलाइन फार्म भरने के लिए युवती ने च्वाइस सेंटर संचालक को रुपये नहीं दिए। इसके कारण संचालक ने उसका फार्म ही नहीं भरा। दो दिन पहले जब युवती ने प्रवेश पत्र की मांग की तो उसे दूसरे के प्रवेश पत्र को एडिट कर थमा दिया। इसे लेकर युवती परीक्षा केंद्र भी पहुंच गई। वहां पर पूरा मामला सामने आ गया। अब दोनों कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।
सीएसपी निमितेष सिंह ने बताया कि कोरबा जिले के कर्रानारा में रहने वाली अंजली राज और कमलेश्वरी अमीन भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी। रविवार को दोनों भरनी स्थित सेंट जेवियर स्कूल के परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने के लिए पहुंची। वहां पर दोनों का रोल नंबर एक ही था।
इसे देख परीक्षा केंद्र प्रभारी विभूति भूषण महाता(58) सकते में आ गईं। उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी मोबाइल से व्यापम के जिला समन्वयक डीपी साहू को दी। तब जिला समन्वयक ने व्यापमं से पड़ताल कर बताया कि अंजली राज नाम की परीक्षार्थी का कोई डेटा डेटाबेस में मौजूद ही नहीं है।
इससे फर्जी प्रवेश पत्र तैयार किए जाने की पुष्टि हुई। पूछताछ में अंजली ने बताया कि उसे च्वाइस सेंटर संचालक मोहन उइके ने प्रवेश पत्र दिया है। पूछताछ में मोहन उइके ने बताया कि दोनों ने ऑनलाइन फार्म भरने के लिए कहा था। कमलेश्वरी ने उसे ऑनलाइन फार्म भरने के लिए तत्काल रुपये भी दे दिए।
वहीं, अंजली ने रुपये नहीं दिए। इसके कारण उसने अंजली का फार्म नहीं भरा था। परीक्षा के दो दिन पहले अंजली ने प्रवेश पत्र मांगा। तब उसने कमलेश्वरी के प्रवेश पत्र को एडिट कर अंजली को थमा दिया। उसी को लेकर अंजली परीक्षा देने के लिए पहुंची थी। पूछताछ के बाद दोनों को सकरी पुलिस के हवाले कर दिया गया। केंद्राध्यक्ष की शिकायत पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर मामले को जांच में लिया है। परीक्षार्थी अंजली और च्वाइस सेंटर संचालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
फर्जी प्रवेश पत्र लेकर परीक्षा दिलाने पहुंची परीक्षार्थी को पुलिस ने तत्काल हिरासत में ले लिया। वहीं, कमलेश्वरी ने परीक्षा दिलाई। इसके बाद दोनों से पुलिस और नोडल आफिसर डिप्टी कलेक्टर शिवकुमार कंवर ने बयान लिया। बयान से मिली जानकारी के आधार पर मोहन उइके को थाने लाया गया। यहां पर पूछताछ में पूरा मामला रुपये नहीं देने पर फार्म नहीं भरने का सामने आया है।
व्यापम की परीक्षा एक ही रोल नंबर के दो परीक्षार्थी के पहुंचने पर केंद्राध्यक्ष ने तत्काल जिला समन्यवक को दी। इधर इस मामले की जानकारी मिलते ही व्यापम के अधिकारी भी सकते में आ गए। तत्काल डेटाबेस की जांच कराई गई। इसमें कमलेश्वरी का नाम सही पाया गया। उसे परीक्षा में शामिल किया गया। इस बीच अधिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर को भेजकर पूरे मामले की जांच कराई। साथ ही प्रवेश पत्र देने वाले को भी कोरबा से लाया गया। तब पूरे मामले का सच सामने आया। इसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली।