नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: रेल यातायात में संरक्षा और गति क्षमता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी आटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच का कार्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रारंभ हो गया है। गुरुवार को लोको नंबर 37704 एडब्ल्यूएएपी-7 को भिलाई स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में सफलतापूर्वक कवच प्रणाली से लैस किया गया। आगामी दिनों में जोन के 551 इंजन में यह प्रणाली लगाई जाएगी।
इस प्रणाली का उद्देश्य ट्रेनों के बीच टक्कर को रोकना तथा लोको पायलट को केबिन में ही वास्तविक समय सिग्नल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना है। यह प्रणाली स्टेशन इंटरलाकिंग और लोकोमोटिव के बीच संचार नेटवर्क के माध्यम से सिग्नल डेटा का आदान-प्रदान करती है। इसके साथ ही पटरियों पर लगाए गए आरएफआइडी टैग लोकोमोटिव की सटीक स्थिति निर्धारित करने में सहायक होते है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत नागपुर- झारसुगुड़ा रेलखंड में कवच प्रणाली स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है, उसी के तहत इस रेल इंजन में कवच लगाया गया है। संरक्षा और गति क्षमता को प्राथमिकता देते हुए इस महत्वपूर्ण परियोजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा रहा है। शेष लोकोमोटिवों में भी कवच प्रणाली का कार्य चरणबद्ध रूप से किया जाएगा।
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ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन को लेकर बनाया गया यह तकनीक पूर्णत: स्वदेशी है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करता है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मार्च 2022 में दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा–चिटगिड्डा स्टेशनों के बीच कवच प्रणाली का सफल जीवंत परीक्षण किया गया था। इसके बाद से हर जोन में इस प्रणाली को लागू की जा रही है।