नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। डीजे और साउंड बॉक्स से होने वाली शोरगुल की समस्या पर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। राज्य शासन ने कोर्ट को बताया कि ठोस कार्रवाई के लिए कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में संशोधन जरूरी है और इस दिशा में पहल की जा रही है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बलरामपुर जिले की उस घटना को भी गंभीरता से लिया, जिसमें गणेश विसर्जन के दौरान डीजे की तेज आवाज में नाचते समय 15 वर्षीय किशोर की मौत हो गई थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि रोक के बावजूद डीजे इतने शोर के साथ कैसे बज रहे थे और अब तक इसमें किसकी जिम्मेदारी तय की गई है। अदालत ने शासन से विस्तृत जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने बलरामपुर जिले की उस घटना को गंभीरता से लिया, जिसमें गणेश विसर्जन के दौरान डीजे पर नाचते समय 15 वर्षीय प्रवीण गुप्ता की मौत हो गई थी। तेज आवाज में डांस करते समय अचानक उसे सांस लेने में तकलीफ हुई और वह गिर पड़ा। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। कोर्ट ने पूछा कि रोक के बावजूद इतनी तेज आवाज में डीजे कैसे बज रहा था और अब तक इसमें किसकी जिम्मेदारी तय की गई है।
बहस के दौरान यह तथ्य सामने आया कि बलरामपुर जिले में डीजे पर कोई रोक नहीं लगाई गई थी, इसलिए वहां तेज आवाज में डीजे बजते रहे। कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और शासन से पूछा कि आखिर आम लोगों की जान को खतरे में डालने वाली इस स्थिति को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
सुनवाई में बताया गया कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में कड़े प्रावधान नहीं हैं। एक-दो बार 500 से 1000 रुपये का जुर्माना लगाकर ही छोड़ दिया जाता है। न तो उपकरण जब्त होते हैं और न ही कोई ठोस कार्रवाई होती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कमजोर व्यवस्था में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती।
विधि विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया गया कि ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण और विनियमन) नियम, 2000, राज्य के कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 की तुलना में कहीं अधिक कठोर हैं। 2000 के नियम केंद्रीय अधिनियम के तहत बने हैं और कानूनी रूप से राज्य अधिनियम पर प्रबल हैं। इन नियमों में लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए अनुमति लेना और ध्वनि सीमा निर्धारित करना अनिवार्य किया गया है। पूर्व की सुनवाई में महाधिवक्ता ने भी स्वीकार किया था कि राज्य सरकार प्रावधानों में संशोधन की तैयारी कर रही है, ताकि ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के अनुरूप कड़े प्रावधान लागू किए जा सकें। हाई कोर्ट ने इस मामले में शासन से विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
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