बिलासपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के चार छात्रों ने एनएसएस कैंप में हिंदू छात्रों को जबरन नमाज पढ़ाने का आरोप लगाया है। कोनी थाने में इसकी लिखित शिकायत भी की गई है। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर अभी तक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है।
शिकायतकर्ता छात्रों की माने तो 26 मार्च से 1 अप्रैल तक वार्षिक कैंप कोटा क्षेत्र के शिव तराई में आयोजित किया गया था। 30 मार्च को ईद के दिन सुबह योगा कैंप के दौरान चार मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाकर नमाज अदा कराई गई।
इसी दौरान एक शिक्षक ने उपस्थित सभी स्वयंसेवकों को भी नमाज पढ़ने का आदेश दिया। इसे लेकर कुछ छात्रों ने कार्यक्रम के बाद विरोध भी प्रकट किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें किसी तरह मनाने का भरसक प्रयास किया।
आखिरकार चार छात्र 14 अप्रैल की रात कोनी थाने में मामले को लेकर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने लिखित शिकायत कर दी। इसके बाद इंटरनेट मीडिया में इस मामले ने तूल पकड़ लिया।
शिकायतकर्ता छात्रों ने कोनी पुलिस को बताया कि शिवतराई में आयोजित शिविर में 159 छात्र-छात्राएं शामिल थे। 30 मार्च को ईद के दिन योगा शिविर के दौरान चार मुस्लिम छात्रों के साथ सभी को मंच पर नमाज अदा करने का आदेश दिया गया।
छात्रों ने आरोप लगाया कि डॉ. दिलीप के निर्देश पर एक छात्र ने सभी को ऐसा करने के लिए कहा। इस दौरान मंच पर शिक्षक डॉ. बसंत कुमार, डॉ. ज्योति वर्मा, डॉ. नीरज कुमारी और डॉ. सुखभान सिंह भी मौजूद थे। कुछ छात्रों द्वारा विरोध करने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें मनाने की कोशिश की।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कोआर्डिनेटर डॉ. दिलीप झा से इस मामले पर जानकारी लेने के लिए संपर्क भी किया गया। फिलहाल उन्होंने किसी तरह का जवाब देने से मना कर दिया है। इसके बाद यह मामला इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गया।
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आरोप के बाद कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. दिलीप झा को पद से हटा दिया और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. राजेंद्र मेहता को यह जिम्मेदारी सौंपी।
मामले की जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग टीम भी गठित की है। कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने बताया कि मामले की सच्चाई सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों की शिकायत के बाद कोनी पुलिस ने अभी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की है। पुलिस को फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच रिपोर्ट का इंजतार है। पुलिस ने अभी तक शिविर में शामिल विद्यार्थियों और प्राध्यापकों से पूछताछ नहीं की है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन व पुलिस मामले को दबा रहे हैं।