शिव सोनी, बिलासपुर। बसों में किराया सूची नजर नहीं आती। बिना सूची बसें बेधड़क सड़क पर दौड़ रही हैं। इतना ही नहीं, चालक-परिचालक भी तय यूनिफार्म पहनने से भी परहेज कर रहे हैं। यह उल्लंघन केवल इसलिए हो रहा है, क्योंकि परिवहन विभाग जांच नहीं करता।
किराया सूची चस्पा नहीं होने के कारण यात्रियों को सही जानकारी भी नहीं होती। ऐसे में कंडक्टर की जितनी मर्जी वह किराया वसूल लेता है। इस तरह की शिकायतें आती हैं और विवाद भी होता है। बसों का परिचालन नियमों के विपरीत हो रहा है।
इससे न केवल सुरक्षा की अनदेखी हो रही है, बल्कि यात्रियों को असुविधा का सामना भी करना पड़ रहा है। इसमें सबसे प्रमुख किराया सूची है। परिवहन विभाग की ओर से यह नियम बनाया गया है कि बस चाहे किसी भी श्रेणी की होगी, उनमें किराया सूची लगानी है।
यह सूची प्रवेश द्वार पर या किनारे खाली जगह पर होनी चाहिए, जो सफर से पहले यात्रियों को स्पष्ट नजर आ जाए। इससे यात्रियों को यह पूछने की जरूरत भी नहीं पड़ती है कि संबंधित जगह (जहां वह सफर कर रहे हैं) का किराया कितना है। वह इसी के हिसाब से कंडक्टर को किराया देता है और टिकट ले लेता है।
अभी सूची के अभाव में यात्रियों को यह पूछना पड़ता है कि कितना किराया देना है। इस दौरान कंडक्टर की जुबान से जो निकल गया, वहीं यात्री को देना पड़ता है। यह समस्या उन यात्रियों पर ज्यादा आती है, जो कभी- कभी सफर करते हैं।
रोजाना सफर करने वाले यात्री आपत्ति कर देते हैं। हाईटेक बस स्टैंड से छूटने वाली अधिकांश बसों में किराया सूची नजर नहीं आई। इस उल्लंघन के अलावा एक और लापरवाही सामने आई। कुछ को छोड़ दिया जाए, तो अधिकांश बसों में न चालक ने और न ही कंडक्टर ने यूनिफार्म पहनी थी। जबकि इसे लेकर भी स्पष्ट आदेश है।
बसों में यात्रियों को मंजिल तक पहुंचने के लिए कम जोखिम नहीं उठाना पड़ता है। हाईटेक बस स्टैंड में खड़ी बसों में कुछ के गेट का द्वार टूट-फूट गया है, तो किसी की खिड़कियां में इसी तरह की स्थिति है। इसके कारण बस में चढ़ते-उतरने समय यात्रियों को कभी भी चोट लग सकती है।
किराया ज्यादा, सुविधा अधूरी- कुदुदंड के रहने वाले वैभव ठाकरे का कहना है कि यात्री हमेशा बस में सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा करना चाहते हैं। सफर के दौरान किराया पूरा लिया जाता है, तो सुविधा भी पूरी मिलनी चाहिए। बसों की सुविधा किराए के अनुरूप नहीं है। महिलाओं के आरक्षित सीटों में पुरुष आराम से बैठे नजर आते हैं और महिलाएं खड़ी रहती हैं। इस अव्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। इसके अलावा जब प्रविधान में किराया सूची चस्पा करना है, तो इसका भी पालन होना चाहिए।
परिवहन विभाग नहीं करता नियमित जांच- तोरवा के रहने वाले धनेश रजक का कहना है कि बसों में किराया सूची लगाना अनिवार्य है। शासन ने यह नियम इसलिए बनाया है, ताकि यात्रियों को परेशानी न हो और जितना किराया है, उनसे उतना ही लिया जाए। किराया सूची नहीं है तो इसके लिए परिवहन विभाग जिम्मेदार है। फिटनेस जांच के लिए जब बसें पहुंचती है, तो जांच दल को यह देखना चाहिए। यदि सूची नहीं है, तो फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं देना चाहिए। ऐसी बसों के संचालक पर कार्रवाई भी करनी चाहिए।
नियमों का पालन न करना लापरवाही- कुदुदंड के रहने वाले तमेश कुमार का कहना है कि बसों में किराया सूची नजर नहीं आ रही है। जबकि मुख्यालय से इसे लेकर सख्त आदेश है, ताकि यात्रियों से अधिक किराए न लिया जा सके। इसके अभाव में विवाद भी होता है। विभाग को चाहिए है कि यह व्यवस्था बनाए। इससे विवाद नहीं होगा और यात्री तय किराया देने के लिए राजी हो जाएंगे। नियमों का पालन न करना लापरवाही की श्रेणी में आता है।
यह भी पढ़ें- नंबर प्लेट पर लिखी थी अरबी भाषा, रायपुर पुलिस ने जब्त की फॉर्च्यूनर
किराया सूची परिवहन विभाग को जारी करना है। लेकिन, विभाग ने आधी परमिट बसों का वर्तमान किराया सूची ही नहीं बनाई है। बस मालिक सूची चस्पा करना चाहते हैं। विभाग दे नहीं रहा तो कहां से चस्पा करेंगे। -एसएल दुबे अध्यक्ष यातायात बस महासंघ बिलासपुर
यह भी पढ़ें- जहां बच्चों को नक्सली थमाते थे बंदूक, वहां AI की मदद से बच्चे गढ़ रहे अपना भविष्य
तिफरा स्थित हाईटेक बसस्टैंड से प्रतिदिन 350 से 400 बसें अलग-अलग रूट पर चलती हैं। इनमें मुख्य रूप से मुंगेली, पंडरिया, कवर्धा, कोरबा, कोटा, लोरमी, सारंगढ़, शिवरीनारायण आदि मार्ग शामिल हैं। सीपत, मोपका व बलौदा जाने वाली बसें तो इसी उल्लंघन के साथ लगरा स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के सामने से गुजरती है। इनमें से किसी मार्ग में बसों की जांच नहीं होती।