नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: शहर के तारबाहर वार्ड क्रमांक 29 संजय गांधी नगर में दूषित पानी पीने से कई लोग बीमार पड़ रहे हैं। इन्हें लगातार उल्टी व दस्त की परेशानी हो रही है। जांच में कईयों के डायरिया से संक्रमित होने की पुष्टि भी चिकित्सक कर रहे हैं।
बता दें कि क्षेत्र के 10 से ज्यादा लोग डायरिया से पीड़ित होकर विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। इससे एक बार फिर तारबाहर क्षेत्र में डायरिया को लेकर हड़कंप मच गया है, क्योंकि हर साल यहां बड़ी संख्या में डायरिया मरीज मिलते हैं। दो साल के भीतर चार लोगों की डायरिया से मौत भी हो चुकी है।
साफ है कि डायरिया फैल चुका है, यदि नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो मामले बढ़ भी सकते हैं। क्षेत्र में बीते 15 दिनों से घरों में मटमैला पानी आ रहा है। इसकी शिकायत भी नगर निगम के जल विभाग से किया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी टीम नहीं पहुंच रही है।
इसकी वजह से रहवासियों को दूषित पानी पीने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। यदि साफ पानी क्षेत्र में उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो आने वाले दिनों में तेज गति से डायरिया मरीज मिलेंगे।
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष भरत कश्यप का इसको लेकर कहना है कि गर्मी के दिनों में जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ था, वहीं दूसरी ओर बारिश के दिनों में शहर के कई वार्डों में दूषित पानी सप्लाई होने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। तारबाहर में अमृत मिशन का गंदा पानी घरों में पहुंच रहा है। आखिर निगम के अधिकारी और महापौर कर क्या रहे हैं, शहर बदहाल है।
उन्होंने निगम प्रशासन से मांग की है कि अमृत मिशन के गंदा पानी को सप्लाई को तत्काल रोका जाए। शुद्ध पेयजल लोगों के घर में पहुंचे और डायरिया से प्रभावित परिवारों का तत्काल इलाज किया जाए। तारबाहर में राहत शिविर लगाया जाए।
वार्ड के कांग्रेस पार्षद शेख असलम ने बताया कि पिछले 15 दिनों से उनके वार्ड क्रमांक 29 संजय गांधी नगर में अमृत मिशन के पाइप लाइन से गंदा पानी लोगों के घर में पहुंच रहा है। इससे लोग बीमार पड़ रहे हैं और डायरिया का यहां प्रकोप फैल गया है। गंदा पानी आने की शिकायत किए जाने पर भी निगम के कर्मचारी यहां नहीं पहुंचे हैं। स्थिति बिगड़ती ही जा रही है।
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डायरिया की मुख्य वजह दूषित पानी बनता है, जिसके सेवन से उल्टी दस्त की शिकायत होने लगती है। जिन क्षेत्रों में उल्टी दस्त के मरीज मिले हैं, वहां के ज्यादातर हिस्से में निगम की पाइपलाइन नालियों से होकर गुजरती है। पाइप में लीकेज की समस्या है। इससे आशंका है कि पानी दूषित हो सकता है। लेकिन इसके बाद भी निगम का स्वास्थ्य अमला सक्रिय नहीं हुआ है, जबकि पानी की जांच करने की जरूरत है।