नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। कटनी रेलखंड पर शनिवार को घुनघुटी व मुदरिया रेलवे स्टेशन के बीच पहाड़ का एक हिस्सा भरभरा ट्रैक पर गिर गया। इसकी वजह से ट्रेनों का परिचालन बाधित हुआ और ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों पर नियंत्रित करना पड़ा। ट्रेनें चार से पांच घंटे विलंब से बिलासपुर व उसलापुर रेलवे स्टेशन पहुंचीं। जिसके चलते यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
लगातार वर्ष के कारण यह हादसा हुआ। चट्टान गिरने के साथ ट्रैक पर पानी भी भर गया, जिसके कारण कटनी से बिलासपुर की ओर आने वाली ट्रेनों के पहिए थम गए। बड़ा हादसा भी टल गया। दरअसल कुछ देर पहले घटना स्थल से भोपाल से दुर्ग जाने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस और छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस गुजरी थी। चट्टान गिरने और पानी भरने के कारण सिग्नल को भी बंद कर दिया गया, जिसकी वजह से कटनी से शहडोल, पेंड्रा, उसलापुर और बिलासपुर आने वाली सभी एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा मालगाड़ी के पहिए आउटर में थम गए। देर रात हुई घटना की सूचना मिलते ही शहडोल और पेंड्रा के स्टाफ तत्काल मौके पर पहुंचे। सुबह सात बजे के बाद ट्रैक से चट्टान हटाने के लिए मशक्कत शुरू हुई। इस दौरान इंदौर से बिलासपुर आने वाली नर्मदा एक्सप्रेस को आउटर के बाद चंदिया स्टेशन में, बिलासपुर से कटनी जाने वाली लोकल को शहडोल स्टेशन में, निजामुद्दीन से दुर्ग जाने वाली संपर्कक्रांति को शहडोल से पहले और बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस कटनी मुरवारा में घंटो खड़ी रही। दोपहर एक बजे के बाद लाइन को व्यवस्थित कर ट्रेनों को रवाना किया गया। इसके कारण सुबह से दोपहर को उसलापुर और बिलासपुर आने वाली ट्रेनें रात आठ बजे के बाद पहुंची।
मालगाड़ी चालक ने दी सूचना
पहाड़ी का हिस्सा गिरने की जानकारी रेलवे को नजदीक के ट्रैक से गुजर रही मालगाड़ी के चालक ने दी। उन्होंने घुनघुटी और मुदरिया रेलवे स्टेशन जानकारी दी। जिस पर रेल प्रशासन तत्काल सक्रिय हुआ। इस दौरान रेलवे प्रबंधन ने ट्रेक पर आने वाली सभी ट्रेनों को तत्काल रोक दिया। इसके बाद मौके पर रेलवे की एक विशेष टीम ने पहुंचकर ट्रैक से मलबा हटाना शुरू किया।
जालियां भी नहीं आई काम
कटनी रेल खंड के दोनों ओर पहाड़ व जंगल है। इनके बीच से रेल लाइन निकली हुई है। रेल प्रबंधन की नजर में यह सेक्शन संवेदनशील है। यही कारण है कि ट्रैक पर पैट्रोलिंग कराई जाती है। इसके अलावा पानी निकासी के लिए ट्रैक के किनारे- किनारे नाली और चट्टान को रोकने के लिए जालियां भी लगाई गई हैं। लेकिन, इस क्षेत्र में इतनी तेज वर्षा हुई कि जालियां लगाकर चट्टान धंसकने रोकने का यह उपाय बेकार रहा। कुछ जगहों पर जालियां जर्जर हो चुकी है।