बिलासपुर। जिले के सीपत तहसील एक मात्र ऐसा कार्यालय है, जहां अधिकारी सिर्फ एक माह काम करते हैं। इसके बाद उनका ताबादला हो जाता है। पिछले सात माह के भीतर यहां पांच तहसीलदार आए और फिर चले गए। इसके चलते आम नागरिकों का काम अटक गया है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तहसीलदार पेखन टोंड्रे छठवें तहसीलदार होंगे। ये अधिकारी यहां कब तक काम करेंगे। कुछ कहा नहीं जा सकता है।
चार महीने पहले 31 मार्च को राज्य सरकार ने 2011 के जनगणना के आधार पर कुल आबादी 4 लाख 38 हजार 787 की जनसंख्या वाले 40 पंचायत और 53 गांव को मस्तूरी से अलग कर सीपत तहसील का पूर्ण दर्जा दिया गया। मस्तूरी तहसील कार्यलय ज्यादा दूर होने के कारण लोगों को आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता था। राजस्व प्रकरण कई दिनों तक पेंडिंग रहता था। सीपत तहसील बनने के बाद लोगों को लग रहा था कि अब आने जाने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन यहां तहसीलदार ही नहीं टीक पा रहे हैं। अतिरिक्त तहसीलदार तुलसी राठौर के अवकाश पर जानेके बाद सीपत तहसीलदार का प्रभार नायब तहसीलदार नीलिमा अग्रवाल को मिली। वे दो माह तक संभाला।
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31 दिसम्बर तक प्रभारी के तौर पर तहसीलदार बनकर काम किया। 1 जनवरी को शशि भूषण सोनी को तहसीलदार की जिम्मेदारी दी गई। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को समझकर व्यवस्था बनाना शुरू ही किया था कि 4 माह में ही 25 मई को शशिभूषण का स्थानांतरण कर भूअभिलेख शाखा का प्रभार दिया गया। इसके बाद बेलगहना तहसीलदार मनोज खांडे ने सीपत तहसीलदार बने। इसके पहले मनोज खाण्डे कुछ समझते बूझते उनका प्रमोशन हो गया। 22 दिन बाद डिप्टी कलेक्टर बनकर कोरबा चले गए।
30 जून को भूअभिलेख शाखा के उप अधीक्षक अप्रतिम पांडेय को सीपत का तहसीलदार बनाया गया। एक बार फिर परिवर्तन हुआ। मात्र 13 दिनों बाद ही अप्रतिम पाण्डेय का स्थानांतरण मस्तूरी कर दिया गया। अप्रतिम पाण्डेय की कुर्सी को रतनपुर तहसीलदार पेखन टोंड्रे ने संभाला है। शुक्रवार को पेखन ट्रोन्ड्रे ने सीपत तहसील का चार्ज लिया है।