
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। पति-पत्नी के बीच 11 साल से अलगाव है और शारीरिक संबंध नहीं बना है। शारीरिक संबंधों के लिए प्रयास करने पर पत्नी अपने पति को आत्महत्या की धमकी देती है। लगातार अलगाव और शारीरिक संबंधों से दूरी को पति के प्रति मानसिक क्रूरता मानते हुए हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने तलाक की डिक्री को मंजूर कर लिया है। साथ ही दो महीने के भीतर पत्नी को बतौर स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 20 लाख रुपये देने का निर्देश याचिकाकर्ता पति को दिया है।
अंबिकापुर निवासी व्यक्ति की शादी 30 मई 2009 को रायपुर निवासी महिला के साथ हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी। पति ने फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (आइए) के तहत तलाक की मांग करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया। पति ने पत्नी पर आरोप लगाया था कि शादी के एक महीने बाद ही वह मायके चली गई और वैवाहिक दायित्व निभाने से इनकार कर दिया।
वर्ष 2013 में अंबिकापुर ट्रांसफर के बाद पत्नी कुछ दिन साथ रही, लेकिन शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया। यह भी कहा कि शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की तो वह आत्महत्या कर लेगी। मई 2014 से वह मायके में रह रही है और उसके लगातार प्रयासों के बावजूद वापस नहीं लौटी। केस दर्ज होने के बाद उसने कभी पति से संपर्क नहीं किया और न हो किसी खुशी या दुख के अवसर पर उसके परिवार से मिली।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों के जवाब और रिकार्ड को देखते हुए पाया कि पति-पत्नी 11 साल से अलग रह रहे हैं। पत्नी ने क्रॉस एग्जामिनेशन में खुद स्वीकार किया कि वह अब पति के साथ वैवाहिक जीवन जारी नहीं रखना चाहती। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे अलगाव और संबंधों में लौटने से स्पष्ट इनकार को मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
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पत्नी ने पति के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पति एक साध्वी के भक्त है और योग साधना में लीन रहने के कारण वैवाहिक संबंधों में रुचि नहीं रखते थे। उसने आरोप लगाया कि पति बच्चे नहीं चाहते थे। पति पर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। पत्नी ने पहले वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए अर्जी भी लगाई, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया।