
नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। मुंबई-हावड़ा मेल में सैकड़ों यात्री सवार होकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। अधिकांश गहरी नींद में थे। इसी बीच रात 3:45 बजे अचानक से तेज आवाज आई और देखते ही देखते चीख-पुकार मच गई। बोगियों के पलटने से यात्री एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। किसी के सिर से तो किसी के हाथ-पैर से खून बह रहा था। सभी बचाव-बचाव की आवाज लगाकर मदद के लिए गुहार लगा रहे थे। यह आपबीती दूसरी ट्रेन से बिलासपुर पहुंचे यात्रियों ने नईदुनिया को बताई।
घटना दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत बड़ाबाम्बो स्टेशन की है। जहां अचानक 12810 हावड़ा-सीएसएमटी मुंबई मेल के 18 कोच पटरी से उतर गए। इन कोच में कोई परिवार के साथ सफर कर रहा था तो कई अकेले व मित्रों के साथ। किसी को जरूरी काम से जाना था और कई साल बाद घर लौट रहे थे। यात्रियों ने भोजन किया और बर्थ पर सो गए। अधिकांश यात्री गहरी नींद पर थे। तभी तेज आवाज आई। यात्री यह समझ नहीं सके कि आखिर यह क्या हो रहा। ऊपर बर्थ पर सो रहे यात्री नीचे गिरने लगे तो नीचे की बर्थ पर सवार भी गिर गए। हालत यह थी कि कोई लोहे को पकड़कर बचने लगे तो कोई सीट के निचले हिस्से को। जब होश आया तो यात्री एक दूसरे के ऊपर गिरे हुए थे। नीचे दबे यात्री खूब जोर-जोर से चीख रहे थे। इस घटना में किसी के पैर पर तो किसी के सिर पर अंदरूनी चोट आई। एक-दूसरे की मदद कर किसी तरह यात्री कोच से बाहर निकले। लेकिन, आसपास न तो कोई गांव था और न मकान। चारों तरफ केवल अंधेरा ही छाया हुआ था। यात्री बचाव-बचाव की आवाज लगाते रहे। लेकिन, घटना ऐसी जगह हुई जहां चारों तरफ सन्नाटा था। सुबह होने के बाद रेलवे का अमला पहुंचा और बचाव कार्य प्रारंभ हुआ। इस घटना में दो से तीन यात्रियों के मौत की खबर है। हालांकि अधिकांश यात्रियों की जान बच गई। इस ट्रेन बिलासपुर, रायगढ़, चांपा समेत मंडल के 90 यात्री सफर कर रहे थे। बाद में दूसरी रैक की व्यवस्था कर घटनास्थल से कुछ दूर आगे खड़ी की गई और सभी यात्रियों को वहां तक पहुंचाया गया। यह ट्रेन हावड़ा-मुंबई मेल बनकर छूटी और रात 8:15 बजे बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां यात्रियों की हालत देखने लायक थी। चेहरे पर दहशत का माहौल था।
शीशा तोड़कर सुरक्षित पेंट्रीकार कर्मचारियों को निकाला
इस ट्रेन की पेंट्रीकार में मौजूद रायपुर निवासी प्रदुमन यादव ने बताया कि घटना के वक्त वह पेंट्रीकार में ही थे। अचानक खड़ाक की आवाज आई और इसके बाद कोच पलट गया। इस घटना में उनके पैर में चोट आई। उन्होंने बताया कि कोच का शीशा तोड़ा और एक-एककर पेंट्रीकार के सभी कर्मचारियों को बाहर निकाला।
कंधे में चोट, बच गई जान
एस-3 कोच में सफर कर रहे मोरटीज शिवरी को कंधे में चोट आई है। उनका कहना है कि जिस समय घटना हुई वह गहरी नींद में थे। क्या हुआ और कैसे हुआ कुछ समझ में नहीं आया। कोच में यात्री एक-दूसरे के ऊपर दबे हुए थे। सभी बचाव के लिए चीख रहे थे। पर घटना ऐसी जगह हुई कि आसपास कोई नहीं था। यह करिश्मा ही है कि इतने बड़ी दुर्घटना के बाद उनकी जान बच गई।
जोर का झटका और गिर गए यात्री
पश्चिम बंगाल निवासी रायशुद्दीन चौधरी का कहना है कि वह गहरी नींद में थे। अचानक खूब जोर से झटका लगा और उसके बाद क्या हुआ कुछ याद नहीं। अधिकांश यात्री बेहोश हो गए थे। किसी के सिर पर चोट आई तो ट्रैक के पत्थर में भी लगा। कुछ यात्री की मौत होने की जानकारी भी है। वह इस ट्रेन में साथी के साथ मुंबई के लिए सफर कर रहे थे।
दो घंटे तक कोई नहीं पहुंचा मदद करने
नभा कुमार मंडल ने बताया कि इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई कि रेलवे की ओर से करीब दो घंटे तक कोई भी नहीं पहुंचा। यात्री खुद एक- दूसरे की मदद करते नजर आए। उन्होंने कोच के अंदर एक लोहे को पकड़कर जान बचाई। यदि लोहा नहीं पकड़ता तो शायद सिर में और गंभीर चोट आती। अभी भी चोट है। जिसका मुंबई पहुंचकर इलाज कराने की बात उन्होंने कही।