जुनियर्स को WhatsApp पर धमकाया या गंदा मैसजे भेजा, तो सीनियर्स की खैर नहीं, अब 'Digital Ragging' करना भी पड़ेगा भारी
यूजीसी की ओर से Digital Ragging रोकने के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। जुनियर्स को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर मैसेज करके परेशान करने को भी अब रैगिंग की श्रेणी में रखा जाएगा, ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कॉलेजों को डिजिटल एंटी-रैगिंग सेल की तरह निगरानी तंत्र विकसित करना होगा
Publish Date: Fri, 11 Jul 2025 03:14:02 PM (IST)
Updated Date: Fri, 11 Jul 2025 03:21:00 PM (IST)
Digital Ragging के खिलाफ होगी कार्रवाईHighLights
- अब Digital Ragging के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा
- यूजीसी ने रैगिंग को लेकर जारी किया नया गाइडलाइन
- डिजिटल एंटी-रैगिंग सेल बनाकर करनी होगी निगरानी
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: नए छात्रों को अब डिजिटल प्लेटफार्म पर भी रैगिंग झेलनी पड़ी तो सीनियर्स को बख्शा नहीं जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्पष्ट कर दिया है कि वाट्सएप ग्रुप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर मानसिक उत्पीड़न भी रैगिंग की श्रेणी में आएगा। देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों को यह निर्देश जारी किए गए हैं।
न्यायधानी के गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय और पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय सहित 130 कालेजों को भी नए नियमों का पालन करना होगा। यूजीसी को हर साल कई शिकायतें मिलती थीं कि सीनियर्स नए छात्रों को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर उन्हें डराते-धमकाते हैं, भद्दे संदेश भेजते हैं, रात में परेशान करते हैं या फिर समूह से बाहर निकालने की धमकी देते हैं।
आयोग ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए कॉलेजों से कहा है कि वे अनौपचारिक वाट्सएप ग्रुप्स की भी निगरानी रखें। हालांकि बिलासपुर के शिक्षण संस्थानों में अब तक डिजिटल रैगिंग के मामले सामने नहीं आए हैं, पर आने वाले समय में किसी भी तरह की कोताही भारी पड़ सकती है। यदि कोई संस्थान रैगिंग रोकने में नाकाम रहता है तो अनुदान रोकने जैसे सख्त कदम उठाए जाएंगे। आयोग ने साफ कहा है कि कैंपस के भीतर या बाहर, ऑफलाइन या ऑनलाइन कहीं भी रैगिंग की छूट नहीं मिलेगी।
उच्च शिक्षण संस्थानों को आदेश
शहर के तीन बड़े विश्वविद्यालय गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय और पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय से संबद्ध करीब 130 कॉलेज इस नई गाइडलाइन के दायरे में आएंगे। नए सत्र में प्रवेश लेने वाले हजारों छात्र और छात्राएं इंटरनेट मीडिया पर भी सुरक्षित महसूस करें, इसके लिए कॉलेजों को डिजिटल एंटी-रैगिंग सेल की तरह निगरानी तंत्र विकसित करना होगा।
अटल वि.वि. ने उठाया कदम
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय ने पहले ही छात्र कल्याण समितियों को निर्देश दिए हैं कि नए छात्रों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़ते समय उनकी सहमति लें और कोई भी अपमानजनक भाषा या संदेश सामने आए तो तत्काल संज्ञान लिया जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि छात्र-छात्राओं को जागरूक करने के लिए हर कॉलेज में विशेष कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी ताकि कोई भी छात्र रैगिंग का शिकार न हो।
क्या कहते हैं नए नियम
- वाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक ग्रुप भी निगरानी में।
- मानसिक उत्पीड़न भी रैगिंग माना जाएगा।
- दोषी पाए जाने पर सीनियर स्टूडेंट्स पर निलंबन, एफआइआर तक की कार्रवाई।
- रैगिंग रोकने संस्थान जिम्मेदार
- कैंपस के भीतर और बाहर दोनों जगह नियम लागू
- शिकायत मिलने पर कालेजों पर भी कार्रवाई।
- अनुदान रोकने जैसे सख्त प्रविधान।
रैगिंग पर हमेशा सजग
इसे लेकर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ.एचएस होता ने कहा कि हम पहले से ही रैगिंग रोकने के लिए सजग हैं। अब डिजिटल प्लेटफार्म पर भी सख्ती बरती जाएगी। सभी कालेजों को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि छात्र हित सर्वोपरि है। किसी भी छात्र को अगर मानसिक या सामाजिक उत्पीड़न झेलना पड़ता है तो दोषियों पर कार्रवाई तय है।