नईदुनिया प्रतिनिधि, दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा में बुधवार को 30 इनामी माओवादियों सहित 71 माओवादियों ने हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। यह माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।71 माओवादियों में 51 पुरुष हैं और 20 महिलाएं हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जिनमें कुछ प्रमुख कमांडर भी शामिल थे। इनमें बामन मड़काम (8 लाख का इनामी), शमिला कवासी (5 लाख का इनामी) और गंगी बारसे (5 लाख का इनामी) जैसे नाम प्रमुख हैं। ये सभी माओवादी बंद सप्ताह के दौरान सड़क काटने, पेड़ गिराने और पुलिस मुठभेड़ों में शामिल रहे थे।
इस अभियान का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., डीआईजी कमलोचन कश्यप, एसपी गौरव राय और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में किया गया। इस सफलता में डीआरजी/बस्तर फाइटर्स, विशेष आसूचना शाखा और सीआरपीएफ की विभिन्न बटालियनों का योगदान महत्वपूर्ण रहा।
आत्मसमर्पण के बाद इन माओवादियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत सभी लाभ दिए जाएंगे। इनमें 50,000 रुपये की प्रारंभिक सहायता राशि, कौशल विकास प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसर शामिल हैं, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें। पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने बताया कि पुलिस की आक्रामक रणनीति और लगातार अभियानों के कारण माओवादी संगठन कमजोर हो रहा है, जिसका नतीजा यह है कि बड़ी संख्या में नक्सली अब आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
यह आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि ‘लोन वर्राटू’ अभियान प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। इस अभियान के तहत अब तक 1113 से अधिक माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं। दंतेवाड़ा पुलिस ने माओवादियों से एक बार फिर हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और सद्भाव की राह अपनाने की अपील की है।
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दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने कहा कि लोग माओवादियों की खोखली विचारधारा से तंग आ चुके हैं। पुलिस की आक्रामक रणनीति और लगातार ऑपरेशन के चलते निचले कैडर के माओवादी सरेंडर कर रहे हैं। इससे बड़े कैडर के माओवादियों का नेटवर्क कमजोर पड़ता जा रहा है। इसी का नतीजा है कि दंतेवाड़ा में अब तक का सबसे बड़ा सरेंडर हुआ है।