सुरक्षा बलों के निशाने पर ये 10 बड़े माओवादी नेता, जवानों ने एक साल में 9 शीर्ष माओवादियों को किया ढेर
माओवादी आतंक के खात्मे का लक्ष्य के साथ अभियान चलाकर सुरक्षा बलों ने पिछले कुछ महीनों में संगठन के शीर्ष के 9 बड़े मआवादी नेताओं को मार गिराया है। वहीं अब सुरक्षा बलों के निशाने पर 10 बड़े माओवादी नेता है। अभियान के तहत अब तक 500 से अधिक माओवादियों को मार गिराया गया है।
Publish Date: Wed, 24 Sep 2025 11:01:37 AM (IST)
Updated Date: Wed, 24 Sep 2025 11:26:20 AM (IST)
गणपति, भूपति, देवजी और मिशिर बने अगला निशानाHighLights
- सुरक्षा बलों ने 1 साल में नौ शीर्ष माओवादियों को ढेर कर दिया
- अबतक 500 से अधिक माओवादी कैडर भी मुठभेड़ों में मारे गए
- अब सुरक्षा बलों के निशाने पर बाकी 10 शीर्ष माओवादी बचे हैं
अनिमेष पाल, नईदुनिया, जगदलपुर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश से माओवादी आतंक के समूल खात्मे का लक्ष्य तय किया था। तब बस्तर समेत माओवादी हिंसा प्रभावित इलाकों में इसे असंभव माना जा रहा था, लेकिन सुरक्षा बलों की सटीक रणनीति और जवानों के शौर्य ने इसे हकीकत में बदलना शुरू कर दिया है। सिर्फ सात माह में ही सुरक्षा बलों ने माओवादी आंदोलन की रीढ़ कहे जाने वाले नौ शीर्ष माओवादियों को ढेर कर दिया।
जबकि अबतक 500 से अधिक कैडर भी मुठभेड़ों में मारे गए। इनमें माओवादी आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा संगठन का मुखिया बसवा राजू भी शामिल है। अब सुरक्षा बलों के निशाने पर बाकी रह गए गणपति, भूपति, देवजी और मिशिर बेसरा जैसे 10 शीर्ष माओवादी बचे हैं, जिन्हें लक्षित कर अब आगामी माह में अभियान चलाए जाएंगे।
एक दिन पहले बस्तर में दो बड़े चेहरे ढेर
- सुरक्षा बलों ने हाल ही में बस्तर में संगठन की नींव रखने वाले दो बड़े चेहरों को खत्म किया। गुडसा उसेंडी उर्फ के. राजचंद्र रेड्डी (राजू दादा): पेशे से वकील, बाद में माओवादी आंदोलन से जुड़ा और 2019 में रमन्ना के मारे जाने के बाद दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) का सचिव व प्रवक्ता था।
- कोसा उर्फ के. सत्यनारायण रेड्डी (कोसा दादा) आइआइटी प्रशिक्षित इंजीनियर था और हथियार निर्माण का मास्टर। उसने श्रीलंका के लिट्टे से प्रशिक्षण लिया था और डीकेएसजेडसी का सचिवालय प्रमुख था। कोसा दादा कई नामों (गौतम, साधू, गोपन्ना, विनोद, बुचन्ना) से संगठन में जाना जाता था और लंबे समय तक केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो का सदस्य भी रहा।
एक साल में मारे गए नौ शीर्ष माओवादी
इस साल देशभर में मुठभेड़ों में नौ शीर्ष माओवादी मारे गए, जिनमें से छह छत्तीसगढ़ में ढेर हुए।
- 19 जनवरी: जयराम उर्फ चलपति (गरियाबंद)
- 21 अप्रैल: विवेक मांझी (झारखंड)
- 21 मई: बसवा राजू उर्फ नंबाला केशवा राव (अबूझमाड़)
- 05 जून: सुधाकर उर्फ थेंटू लक्ष्मी (बीजापुर)
- 18 जून: उदय उर्फ गजराला रवि (आंध्रप्रदेश)
- 11 सितंबर: मनोज उर्फ मोडेम बालकृष्ण (गरियाबंद)
- 14 सितंबर: सहदेव सोरेन (झारखंड)
- 22 सितंबर: गुडसा उसेंडी और कोसा (नारायणपुर, अबूझमाड़)
- इसके अलावा, 13 सितंबर को माओवादी सुजाता उर्फ कल्पना ने तेलंगाना में आत्मसमर्पण किया।
अब सुरक्षा बलों के निशाने पर ये माओवादी
पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी सदस्य:
- गणपति (एम. लक्ष्मण राव), 74 वर्ष -सलाहकार, सेंट्रल कमेटी
- भूपति (एम. वेणुगोपाल उर्फ अभय) 64- सचिव सीआरबी, प्रवक्ता, भाकपा (माओवादी)
- देवजी (थिप्परी तिरूपति), 62 वर्ष -प्रभारी सेंट्रल मिलिट्री कमेटी, सीआरबी सदस्य
- मिशिर बेसरा (भास्कर), 63 वर्ष -प्रभारी ईआरबी (इस्टर्न रिजनल ब्यूरो), झारखंड
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अन्य सेंट्रल कमेटी सदस्य:
- पुल्लरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना (सचिव, तेलंगाना स्टेट कमेटी)
- गणेश उईके उर्फ राजेश तिवारी, 63 वर्ष (सचिव, ओडिशा स्टेट कमेटी)
- अनल दा उर्फ तुफान (सचिव, बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी ; सारंडा जंगल क्षेत्र में सक्रिय)
- सब्यसाची गोस्वामी उर्फ अजय दा (सचिव, पश्चिम बंगाल-आसाम एरिया कमेटी)
- रामदेर और हिड़मा (दक्षिण बस्तर में सक्रिय)
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माओवादी यदि हथियार नहीं छोड़ते, तो उनका अंजाम बसवा राजू जैसा ही होगा। आने वाले महीनों में माओवादियों के थिंक टैंक विशेषकर शीर्ष नेतृत्व को खत्म करने पर विशेष फोकस होगा।
-सुंदरराज पी., आइजीपी बस्तर