नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में शुक्रवार को सेंट्रल कमेटी सदस्य व दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता रूपेश उर्फ विकल्प के नेतृत्व में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, रनीता, राजू सलाम सहित 210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। मंच पर जैसे ही माओवादी पहुंचे, लाल बंदूकें झुक गईं और उनके हाथों में संविधान की किताब और लाल गुलाब थे। यह प्रतीक था हिंसा से शांति की ओर यात्रा का। इस समर्पण के साथ अबूझमाड़ के 4400 वर्ग किमी, कांकेर जिले और महाराष्ट्र सीमा तक का क्षेत्र माओवाद मुक्त हो गया है।
माओवाद के सशस्त्र आंदोलन का यह सबसे निर्णायक मोड़ है, क्योंकि इसके साथ ही माड़ डिवीजन, गढ़चिरौली कमेटी, उत्तर-पूर्वी बस्तर डिविजन, कंपनी नंबर-1 और 10, संचार, प्रेस और डाक्टर टीम पूरी तरह संगठन से बाहर आ चुकी हैं। यह माओवादी आंदोलन के अंतिम अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है। अब बस्तर में सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही माओवादियों सिमट कर रह गए हैं।
कार्यक्रम स्थल पर सफेद कपड़े का आवरण हटते ही हथियारों का ढेर सामने आया। 19 एके-47, 17 एसएलआर(सेल्फ लोडिंग राइफल), 23 इंसास राइफल, एक इंसास एलएमजी (लाइट मशीनगन), एक यूबीजीएल (अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर), 36 थ्री-नाट-थ्री राइफल, चार कार्बाइन, 11 बीजीएल (बैरेल ग्रेनेड लांचर), 41 नग 12 बोर बंदूकें और एक पिस्टल। पुलिस महानिदेशक अरुण गौतम, आइजीपी सुंदरराज पी. और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कुल 153 हथियारों के साथ यह आत्मसमर्पण अब तक का सबसे बड़ा माना गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा ने जगदलपुर में ही पुलिस कोआर्डिनेशन सेंटर से शांति का संदेश दिया।