विनोद सिंह, नईदुनिया। जगदलपुर। Jagdalpur News: गैर मानसून काल में (नवंबर से जून मध्य तक) ओडिशा से बस्तर सीमा पर इंद्रावती नदी में 8.115 टीएमसी पानी छत्तीसगढ़ नहीं ले पाया है। दोनों राज्यों के बीच 24 दिसंबर 2003 को इंद्रावती नदी जलसंकट के समाधान के लिए के लिए रायपुर में हुई प्रमुख अभियंता स्तर की बैठक में छत्तीसगढ़ ने पेयजल के लिए 3.475 टीएमसी और उद्योग के लिए 4.640 टीएमसी पानी की मांग की थी।
तब ओडिशा ने इंद्रावती-जोरा नाला संगम में कंट्रोल स्ट्रक्चर (कांक्रीट की पक्की संरचना) का निर्माण होने के बाद छत्तीसगढ़ की इस मांग पर दोनों राज्याें की सरकार के बीच चर्चा कर निर्णय लेने का भरोसा दिया था। केंद्रीय जल आयोग द्वारा तैयार ड्राइंग-डिजाइन के आधार पर बस्तर सीमा से पांच किलोमीटर दूर ओडिशा के ग्राम सूतपदर में इंद्रावती-जोरा नाला संगम में दो कंट्रोल स्ट्रक्चर का निर्माण कार्य 2011 में प्रारंभ कर 22 जून 2016 को निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया।
इसके बाद छग शासन द्वारा ओडिशा को कई बार पत्र भेजकर गैर मानसून सीजन में राज्य सीमा पर इंद्रावती नदी में 8.115 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने के लिए शासन स्तर पर संयुक्त बैठक आयोजित करने की मांग की लेकिन बीते आठ सालों में भी बैठक नहीं हो पाई है। इस कारण यह मामला आज भी लंबित है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद एक बार फिर इस मुद्दे पर ओडिशा को प्रस्ताव भेजने की तैयारी जल संसाधन विभाग ने की है।
पूर्ववती डा रमन सिंह के सरकार के समय 24 दिसंबर 2003 को प्रमुख अभियंता स्तर की बैठक में पांच बिंदुओं पर सहमति बनी थी। जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ शासन ने ओडिशा से गैर मानसून सीजन में सीमा पर इंद्रावती नदी में 8.115 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने की मांग रखी थी।
जिस पर ओडिशा का कहना था कि केंद्रीय जल आयोग से ड्राइंग डिजाइन प्राप्त कर गैर मानसून सीजन में इंद्रावती-जोरा नाला संगम में आधा-आधा पानी बांटने के लिए दो पक्के कंट्रोल स्ट्रक्चर (कांक्रीट की संरचना) का निर्माण किया जाए। इनके निर्माण का अभी पूरा छग शासन द्वारा वहन किया जाए।
स्ट्रक्चर निर्माण के बाद 8.115 टीएमसी पानी की मांग को लेकर दोनों राज्य शासन स्तर पर बैठक कर निर्णय ले लेंगे। छग शासन ने दोनों स्ट्रक्चर के निर्माण पर व्यय सारी राशि (49.37 करोड़) का वहन करने की सहमति दी थी और बाद में भुगतान भी कर दिया।
क्यों जरूरी था स्ट्रक्चर का निर्माण
ओड़िशा के कालाहांडी जिले से निकलकर 174 किलोमीटर बहने के बाद इंद्रावती नदी में प्रवेश करती है। बस्तर सीमा के नजदीक ओड़िशा में यह नदी जोरा नाला के साथ संगम बनाती है। जोराा नाला पहले इंद्रावती का सहायक हुआ करता बाद में संगम क्षेत्र में प्राकृतिक संरचना में बदलाव के कारण इंद्रावती का पानी जोरा नाला में समाहित होने लगा इससे जोरा नाला उल्टा बहने लगा। इससे बस्तर की ओर गर्मियों में जलबहाव कम होने से जलसंकट की स्थिति बीते तीन दशक से बन जाती है। स्ट्रक्चर भी आधा-आधा पानी नहीं बांट पा रहा है।
नए सिरे से पत्राचार करेंगे
जल संसाधन विभाग छग शासन के प्रमुख अभियंता इंद्रजीत उइके ने कहा, कंट्रोल स्ट्रक्चर बनने के बाद 8.115 टीएमसी पानी की मांग पर शासन स्तर पर निर्णय लेने की बात 2003 के समझौते में कही गई थी। अभी तक इस पर ओड़िशा का जवाब नहीं आया है। नए सिरे इस विषय पर पत्राचार किया जाएगा।