नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: माओवादी संगठन में आत्ममंथन की प्रक्रिया तेज होती दिखाई दे रही है। दो दिन पहले केंद्रीय प्रवक्ता अभय के नाम पर पत्र जारी हुआ था। इसमें हथियार छोड़कर शांति वार्ता की पेशकश की थी। अब सोनू के नाम पर एक और पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि आंदोलन ने कई गंभीर गलतियां कीं। हथियार उठाना हमारी सबसे बड़ी भूल थी, इसलिए हम जनता से खुले तौर पर माफी मांगते है। दोनों पत्र एक ही व्यक्ति ने जारी किए है। मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ अभय उर्फ भूपति उर्फ सोनू ने पत्र लिखे है। एक पत्र संगठन के आधिकारिक लेटरहेड पर जारी किया गया है, जबकि दूसरा पत्र व्यक्तिगत रूप से सोनू के नाम पर जारी किया है।
वर्ष 2011 में मारे गए शीर्ष माओवादी किशनजी के भाई अभय उर्फ सोनू ने पत्र में लिखा है कि जनता के असली मुद्दे जमीन, जंगल और सम्मान थे, लेकिन हमने बंदूक का रास्ता अपनाया, जिससे न्याय मिलने के बजाय निर्दोषों पर और अत्याचार हुए। हमें स्वीकार करना होगा कि हथियारबंद संघर्ष ने आंदोलन को कमजोर किया और लोगों को पीड़ा दी। यद्यपि इन पत्रों के जारी होने के बीच बस्तर के बीजापुर और दंतेवाड़ा में दो निर्दोष ग्रामीणों की हत्या माओवादी कर चुके हैं।
पत्र में सोनू ने लिखा है कि जनता के असली मुद्दे जमीन, जंगल और सम्मान थे, लेकिन हमने बंदूक का रास्ता अपनाया, जिससे न्याय मिलने के बजाय निर्दोषों पर और अत्याचार हुए। हमें स्वीकार करना होगा कि हथियारबंद संघर्ष ने आंदोलन को कमजोर किया और लोगों को पीड़ा दी। यद्यपि इन पत्रों के जारी होने के बीच बस्तर के बीजापुर और दंतेवाड़ा में दो निर्दोष ग्रामीणों की हत्या माओवादी कर चुके हैं।
इस पत्र में साफ किया गया है कि माओवादी आंदोलन अब हथियार की राह नहीं, बल्कि सामाजिक-संगठनात्मक आधार पर आगे बढ़ेगा। गांव–गांव के छोटे संघर्ष और महिलाओं की भागीदारी ही असली ताकत है। अगर जनता एकजुट रहेगी तो बिना बंदूक भी अपने अधिकारों की लड़ाई जीती जा सकती है।
सोनू ने समर्पण और पुनर्वास नीतियों पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि नकली आत्मसमर्पण दिखाकर सरकार जनता को गुमराह कर रही है। लेकिन साथ ही यह भी माना कि संगठन ने अंधाधुंध हिंसा और बाहरी विचारधारा की कठोर नकल करके अपनी जड़ों से दूरी बना ली। यही कारण रहा कि कई इलाकों में आंदोलन कमजोर पड़ा।
यह भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री शर्मा ने माओवादियों शांति वार्ता वाले पत्र को बताया संदिग्ध, कहा-आत्मसमर्पण ही एकमात्र रास्ता
पत्र के अंत में सोनू ने स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी आत्ममंथन की प्रक्रिया में है और अब नई रणनीति जनता की आकांक्षाओं पर आधारित होगी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सरकारी लालच में न फंस कर अपने पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित, शांतिपूर्ण संघर्ष का रास्ता अपनाएं।
तेलंगाना के करीम नगर जिले के पेद्दापल्ली निवासी 69 वर्षीय मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ अभय ने बीकाम की पढ़ाई की है। उनके दादा और पिता, मल्लोजुला वेंकटैया दोनों भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वेणुगोपाल 30 से अधिक वर्षों से घर से दूर हैं। उनके भाई किशनजी को 2011 में कोलकाता मुठभेड़ में मारा गया था। वेणुगोपाल की पत्नी तारक्का ने पिछले वर्ष महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आत्मसमर्पण कर दिया है। वह अभी पुलिस पुर्नवास कैंप में रह रही है। सबसे पहले उसी ने सरकार से युद्धविराम की अपील भी की थी।
अब वह आत्मसमर्पण करना चाहता है, ताकि अपनी पत्नी से जुड़ सकें। मल्लोजुला कोटेश्वर राव, जिन्हें उनके उपनाम किशनजी से जाना जाता था। उन्होंने 1970 के दशक में माओवादी आंदोलन में प्रवेश किया था। उस पर कई माओवादी हमलों और सुरक्षा बलों के खिलाफ अभियानों का आरोप था। उन्हें 24 नवंबर 2011 को पश्चिम बंगाल में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। उनके छोटे भाई वेणुगोपाल उर्फ भूपति भी एक प्रमुख माओवादी नेता हैं।