नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: "पति की जान मत लो, छोड़ दो उसे...!" यह रुदन सिरसिट्टी गांव की रिंकी का था। सोमवार की रात जब वह बच्चों के साथ सो रही थी, तभी माओवादी उसके घर में घुसे। पति पदाम देवेंद्र के हाथ बंदूकधारी माओवादियों ने बांध दिए और उसे घसीट रहे थे। रिंकी ने पांव पकड़कर रहम की भीख मांगी, मगर महिला माओवादियों ने उसे धक्का देकर डंडों से पीटा। दर्द से कराहती रिंकी की आंखों के सामने ही उसके बच्चों को पिता की हत्या का मंजर देखना पड़ा। कुल्हाड़ी का वार होते ही देवेंद्र खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़ा और बच्चों की चीखों से गांव कांप उठा।
घटना सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर केरलापाल थाना क्षेत्र के सिरसिट्टी गांव में हुई। ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब 10 बजे अचानक 40–50 माओवादी गांव में घुस आए। उन्होंने देवेंद्र और पदाम पोज्जा को घरों से बाहर निकाला। दोनों के हाथ बांध दिए और आरोप लगाया कि वे पुलिस के मुखबिर हैं। थोड़ी ही देर में पोज्जा का गला दबाकर हत्या कर दी गई और देवेंद्र के सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर मौत के घाट उतार दिया गया।
माओवादियों की बर्बरता यहीं खत्म नहीं हुई। देवेंद्र की बुजुर्ग मां जब बेटे को बचाने दौड़ीं तो उन्हें भी बंदूक के बट से पीटकर लहूलुहान कर दिया। वहीं ग्रामीण माडा को भी बेरहमी से पीटा गया। वारदात के बाद माओवादी पर्चे फेंककर चले गए, जिनमें केरलापाल एरिया कमेटी की ओर से दोनों मृतकों पर पुलिस को सूचना देने का आरोप लिखा था।
इस घटना के बाद गांव में मातम पसरा है। देवेंद्र की पत्नी और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। बच्चों की मासूम आंखों में पिता की दर्दनाक मौत का खौफ आजीवन अंकित हो गया है। परिजनों ने आंसुओं सवाल पूछ रहे थे आाखिकार ''हमने क्या बिगाड़ा था? निर्दोष होते हुए भी हमारा घर उजाड़ दिया गया।''
शवों को गांव से निकालना भी आसान नहीं था। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने खाट पर शवों को उठाकर आधे रास्ते तक लाया। बीच में दो बड़े नाले आए, जिन्हें पार करने के लिए शवों को तैराकर दूसरी ओर पहुंचाया गया। इसके बाद पिकअप वाहन से उन्हें केरलापाल लाया गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे गए।
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अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप खुलने और शांति बहाल होने से माओवादी बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में वे निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं। सिरशेट्टी में हुई यह दोहरी हत्या उसी का उदाहरण है।
-किरण चव्हाण, एसपी, सुकमा