नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: बस्तर क्षेत्र में आदिवासी युवाओं द्वारा शिक्षा का प्रचार करना अब माओवादियों के निशाने पर आ गया है। पिछले 2वर्षों में 6 शिक्षादूतों की माओवादी हिंसा में हत्या हो चुकी है, जो न केवल क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था, बल्कि स्थानीय समुदाय की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है। एक बार फिर माओवादियों ने एक शिक्षादूत की हत्या कर दी हैं।
बता दें कि 15 जुलाई 2025 को बीजापुर के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में इंद्रावती नेशनल पार्क के जंगलों में विनोद मड्डे (32) और सुरेश मेटा (28) को पुलिस मुखबिरी के शक में अपहरण कर माओवादियों ने बेरहमी से हत्या कर दी। उनके शव जंगल में छोड़ दिए गए। इससे पहले, सितंबर 2024 में बीजापुर जिले के दूरस्थ गांव में बमन कश्यप (29) और अनिश राम पोयम (38) को उनके घर से उठाकर जंगल में ले जाया गया और गला घोंटकर हत्या की गई। उनके पास पुलिस मुखबिर होने का पर्चा छोड़ दिया गया था।
हाल ही में बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर बसे सिलगेर गांव में लक्ष्मण बाडसे की हत्या ने एक बार फिर माओवादी हिंसा की भयावह प्रवृत्ति को उजागर किया। वे मंडेमरका में शिक्षादूत के रूप में कार्यरत थे। माओवादियों ने उन्हें तेज धारदार हथियार से मार डाला, पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए।
इसी प्रकार नारायणपुर के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र के बिनागुंडा गांव में मनेश नरेटी को भी जन अदालत में मार दिया गया। मनेश ने 15 अगस्त को माओवादी स्मारक पर तिरंगा फहराया था, जिसे माओवादियों ने अपने खिलाफ साजिश मान लिया।
यह भी पढ़ें- बीजापुर पुलिस के नाम बड़ी कामयाबी, 81 लाख रुपये के 20 इनामी सहित 30 माओवादियों ने किया सरेंडर
विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादियों का उद्देश्य क्षेत्र के आदिवासी युवाओं को शिक्षा से वंचित रखना और उन्हें स्वतंत्र सोच से दूर रखना है। पढ़े-लिखे युवा शासन और प्रशासन के करीबी बनते हैं, जिससे माओवादियों का वर्चस्व खतरे में पड़ता है। इतिहास में भी बस्तर में सलवा जुड़ूम आंदोलन के दौरान दो हजार से अधिक स्कूलों को नष्ट कर पीढ़ियों को शिक्षा से वंचित किया गया था। अब फिर से माओवादी शिक्षादूतों को निशाना बना रहे हैं।