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मठ मंदिर में रविवारीय रामकथा
शिवरीनारायण।नईदुनिया न्यूज। रविवारीय रामकथा का शुभारंभ भगवान श्रीराम की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर व रामायण की आरती के साथ हुआ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महंत रामसुंदर दास ने कहा कि तीन वर्षों से निर्बाध रुप से यहां माह के द्वितीय रविवार को मानस गंगा की धारा प्रवाहित हो रही है। इस मंच ने अनेक वक्ताओं को अवसर प्रदान किया है। सभी मौसम में भगवान श्रीराम का गुणगान निरंतर हो रहा है। गंगाराम कैवर्त ने किष्किंधा कांड पर अपना प्रवचन प्रस्तुत करते हुए कहा कि शास्त्रों में किष्किंधा कांड को कांशी कहा गया है, इसका जो पाठ करता है, उसे पूरे मानस के पाठ करने का फल मिलता है। यह रामचरितमानस का हृदय है, इसकी चार गुफाएं हैं। भगतराम साहू ने कहा कि भगवान का अवतार गुप्त रूप से हुआ था इसलिए हनुमान जी ने पूछा कि आप दोनों कौन हैं क्या आप साक्षात नर और नारायण हैं। खरौद के शंभू यादव ने कहा कि यह वही स्थान है, जहां मतंग ऋषि का आश्रम था। यहां भगवान नर-नारायण साक्षात राम-लक्ष्मण के रुप में पधारे थे। दूधाधारी मठ रायपुर के सदानंद महाराज ने कहा कि जब आप स्वाध्याय करेंगे, सीताराम का भजन करेंगे तब आपका मन निर्मल हो जाएगा और ईश्वर तत्व की प्राप्ति होगी। मुड़पार की मानस मर्मज्ञ श्रीमती रामकुमारी साहू ने कहा कि जो सज्जान व्यक्ति होता है, उसके पास सदगुण एक-एक कर चले जाते हैं और वहीं लक्ष्मी का वास भी होता है। राधेश्याम शर्मा ने कहा कि भगवान का अवतार इस जगत में धर्म की स्थापना के लिए हुआ है। मानस प्रवक्ता एवं भागवत आचार्य राजेंद्र शर्मा ने कहा कि हनुमानजी संत हैं। उन्होंने भगवान रामचंद्र और सुग्रीव दोनों को एक दूसरे के कथा से अवगत कराया और आपस में उन्हें मैत्री करा दिया। इनके अलाव आशुतोष शास्त्री, सीताराम डनसेना, दिलीप साहू, बिहारी भारद्वाज, सत्रोहन निषाद सहित अनेक मानस वक्ताओं ने प्रवचन दिए। संचालन प्रोफेसर रंगनाथ यादव ने किया। इस अवसर पर त्यागी महाराज, सुखरामदास, आयोजन निरंजन लाल अग्रवाल, निर्मल दास वैष्णव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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