Janjgir Champa News: चिन्हारी पोर्टल में पंजीयन 690, प्रोत्साहन राशि मिला 590 का
सूची में 100 मंडलियों को छोड़ दिया गया है। इसके चलते इस राशि का भुगतान पंचायत विभाग चाह कर भी नहीं कर पा रही है।
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Tue, 25 Apr 2023 12:14:37 AM (IST)
Updated Date: Tue, 25 Apr 2023 12:14:37 AM (IST)

जांजगीर - चांपा । ग्राम पंचायत स्तर पर रामायण मंडली के चिन्हारी पोर्टल में पंजीयन कराने वाली सभी मंडलियों को प्रोत्साहन के रूप में पांच हजार रूपए की राशि देने की घोषणा राज्य सरकार ने की थी। मगर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हो जाने के एक माह बाद भी यह राशि अविभाजित जिले की मानस मंडलियों को नहीं मिल पाई है। चिन्हारी पोर्टल में जिले की 690 मंडलियों ने अपना पंजीयन कराया था। मगर राज्य सरकार द्वारा केवल 590 मंडलियों के लिए राशि जारी की गई है। जबकि सूची में 100 मंडलियों को छोड़ दिया गया है। इसके चलते इस राशि का भुगतान पंचायत विभाग चाह कर भी नहीं कर पा रही है। ऐसे में राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है।
छत्तीसगढ़ की पहचान श्री राम और रामायण मंडलियों से है, और राज्य सरकार इसी परम्परा व पहचान को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। इसलिए ग्राम पंचायत, विकासखण्ड से लेकर जिला और राज्य स्तर पर रामायण मंडलियों की प्रतियोगिता कराकर उन्हें प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। मगर जिले की मानस मंडलिया इस योजना में ठगा सा महसूस कर रहे हैं। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए मंडलियों को चिन्हारी पोर्टल में 20 नवंबर तक रजिस्ट्रेशन कराने का समय दिया गया था। साथ ही आनलाइन माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने की सुविध्ाा दी गई थी।
सरकार द्वारा चिन्हारी पोर्टल में पंजीयन कराने वाले सभी रामायण मंडलियों को 5 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गई थी। इससे प्रोत्साहित होकर अविभाजित जिले के करीब 690 रामायण मंडलियों ने पंजीयन कराकर जिले को प्रदेश में पहला स्थान दिलाया था। इसके बाद जिले में 21 नवम्बर से 15 दिसंबर तक ग्राम पंचायत स्तर पर और 9 जनवरी से 25 जनवरी तक जनपद स्तरीय मानस गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वहीं जिला स्तर प्रतियोगिता का आयोजन जिला मुख्यालय जांजगीर में जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव के दौरान किया गया। जबकि माघपूर्णिमा मेला के अवसर पर राजिम में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हुई। इस प्रतियोगिता में भी जिले की मानस मंडली ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। मगर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हो जाने के एक माह बाद भी प्रोत्साहन राशि मानस मंडलियों को नहीं मिल पाई है।
प्रोत्साहन राशि देने का यह है प्रमुख उद्देश्य
छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और कला को जीवंत बनाने में अपना सतत योगदान देने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे कलाकार जो लोक पारंपरिक शैली में श्रीराम चरितमानस पर आधारित कथानक को कलाकार समूहों द्वारा भजन कीर्तन, व्याख्या के माध्यम से प्रचलित शैली में प्रदर्शित करते हैं, जिसमें प्रमुख वाद्ययंत्र हारमोनियम, तबला, ढोलक, मंजीरा, झुमका का उपयोग किया जाता है। संस्कृति विभाग के द्वारा रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना के माध्यम से लोक कलाकारों की लोक पारंपरिक शैली, लोक पारंपरिक वाद्ययंत्रों को संरक्षण, संवर्धन कर प्रोत्साहन देना प्रमुख उद्देश्य है।
दो वर्ष तक के लिए अपात्र होगी मंडलियां
राज्य शासन द्वारा संस्कृति विभाग के प्रशासनिक विभाग और संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इस प्रतियोगिता में ऐसी रामायण मंडलियां शामिल होंगी, जिनका संस्कृति विभाग के चिन्हारी पोर्टल में पंजीकृत है। इसके साथ तीन वर्षो तक गांवों, कस्बों, ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय कलादल और नवोदित कलाकार भी इस प्रतियोगिता में शामिल हो सकेंगे। रामायण मंडली प्रोत्साहन के अंतर्गत चिन्हारी पोर्टल में पंजीकृत रामायण मंडलियों को विशेष प्रोत्साहन के तहत वर्ष में एक बार 5000 रूपए की प्रोत्साहन राशि देने का प्रविधान है। आगामी दो वर्ष तक ये मंडलियां प्रोत्साहन राशि के लिए अपात्र होगी।