कवर्धा। इस वर्ष 19 सितंबर से शुरू होने वाले गणेशोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश की प्रतिमाओं को मूर्तिकार आकार दे रहे हैं। इस बार महंगाई का असर प्रतिमाओं के आकार पर भी पड़ रहा है। प्रतिमा बनाने में प्रयुक्त सामग्री महंगी होने के कारण प्रतिमाओं का आकार छोटा होता जा रहा है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से गणेश चतुर्थी की शुरुआत होने जा रही है। वहीं 28 सितंबर को अनंत चतुर्थी के दिन समापन होगा। बता दें कि यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा और 11 वें दिन बप्पा को पूरे धूमधाम के साथ विदा किया जाएगा और हर भक्त की जुबान पर बस बप्पा का नाम होगा।
कवर्धा के सरदार पटेल मैदान में प्रतिमा बनाने का काम शुरू हो गया है। यहां एक फीट से छह फीट तक की गणेश मूर्तियां तैयार कर रहे हैं। मूर्तियों की कीमत 150 रुपये से लेकर बीस हजार रुपये तक है। बढ़ती महंगाई का असर मूर्ति बनाने पर पड़ रह है। दो साल पहले जो मूर्ति तीन हजार रुपये में बन जाती थी, इस बार उसकी कीमत करीब पांच हजार रुपए तक होगी। मूर्ति बनाने में कन्हार, मटासी मिट्टी, रूई, पैरा, सुतली, बांस, कील, बारदाना आदि का उपयोग किया जाता है। मिट्टी को चार से पांच दिन तक पानी में भीगाकर रखना पड़ता है। इससे मिट्टी पकती है और मूर्ति बनाने में आसानी होती है।
जिला प्रशासन ने फिलहाल आयोजन को लेकर अब तक कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है कि मूर्तिकार कितनी ऊंचाई की मूर्तियां बना सकते हैं। अधिकांश मूर्तिकार गणेशजी की छोटी मूर्तियां ही बना रहे हैं। मूर्तिकार बड़ी अर्थात 10 से 15 फीट ऊंची मूर्तियां बनाने से बच रहे हैं। बता दें कि बीते दो वर्षों तक कोरोना की वजह से गणेश प्रतिमाओं की बिक्री काफी कम हो गई थी और गणेश प्रतिमा कम दाम में बेचनी पड़ी थी, क्योंकि एक बार बनी हुई गणेश प्रतिमा को आने वाले साल तक सुरक्षित रखना मुश्किल होता है। ऐसे में कम दाम में गणेश प्रतिमा बेचने को मजबूर होना पड़ा था। लेकिन इस साल कोरोना का असर कम होने के कारण गणेश प्रतिमा की डिमांड अच्छी होने के साथ ही बाजार भी अच्छा रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
गणेशोत्सव को एक महीने से कम समय है। उसके बाद दुर्गोत्सव है। मूर्तिकारों ने मां दुर्गा की मूर्तियों का काम अभी से शुरू करने की तैयारी कर ली है। ज्ञात हो कि कोरोना के कारण दो सालों से मूर्तिकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अभी से कुछ बड़े समितियों द्वारा मूर्तियों की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है।
प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) पर बैन जारी है। इस पीओपी में पावडर कैल्शियम सल्फेट (आमतौर पर जिप्सम के रूप में जाना जाता है) और पानी का मिश्रण है, जो जल्द सख्त हो जाता है। इसमें अशुद्धियों के रूप में सिलिका और एस्बेस्टस हो सकते हैं। ये दोनों सामग्रियां सांस लेने पर स्थायी फेफड़ों की क्षति और अन्य बीमारियां कर सकती हैं। इमें सल्फर, जिप्सम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे रसायन भी होते हैं। प्लास्टर आफ पेरिस सेहत के लिए हानिकारक है, क्योंकि इससे सेहत पर कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। यह पानी को प्रदूषित करता है और जलीय जीवों को खत्म करता है।