कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर के यात्रियाें को रायगढ़ रूट की ओर सफर करनी हो तो उन्हे चांपा जाना पड़ता है। सफर को आसान करने के लिए बालपुर से सारागांव रेलवे स्टेशन का विस्तार किया गया है। इस मार्ग में अब तक एक बार भी यात्री वाहन नहीं चली है। आठ साल पहले जब पटरी बिछाई जा रही थी तब लोगो को उम्मीद थी कि अब कोरबा से सीधे सक्ती और रायगढ़ का सफर आसान होगा। लोगाें को क्या मालूम था कि रेल लाइन केवल मालगाड़ी के लिए बिछाई जा रही है।
किसी भी क्षेत्र में रेलवे लाइन का विस्तार उसकी विकास को प्रदर्शित करता है। कोयला से सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिले के लिए यह दिया तले अंधेरा जैसी दशा को प्रदर्शित करता है। यात्री सुविधा के लिए कोरबा में आंदोलन कोई नई बात नहीं है। बिलासपुर को जब जोन बनाने की बात आई थी तब जिले वासियाें ने इसका पुरजोर समर्थन किया था। इसके पीछे उनकी अपेक्षा यह थी कि कोरबा को पर्याप्त लंबी दूरी की गाड़ियां और पैसेंजर भी मिलेगी, पर ऐसा नहीं हुआ। जिले से कोयले का जिस तरह से दोहन हो रही उसके अनुरूप यात्री गाड़ियों की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। कोयला संकट के नाम पर मालगाड़ी के रेक बढ़ाए जा रहे हैं, वहीं यात्री गाडियां घट गई है। सुबह की पैसेंजर के अलाव शिवनाथ व छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को छोड़ दिया जाए तो दोपहर और शाम के समय कोई यात्री ट्रेन की सुविधा नहीं है। आपात स्थिति में ट्रेन पकड़ने शहर वासियों को बस से सफर तय कर चांपा अथवा बिलासपुर जाना पड़ता हैं। रेल की समस्या शहर वासियों की ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की भी है। गेवरा को पेंड्रा गौरेला रेल लाइन से जोड़ने की घोषणा बजट में की जा चुकी है। मुआवजा प्रकरण का निराकरण नहीं होन के कारण पिछले एक दशक के बाद भी यह सुविधा अब तक परवान नहीं चढ़ पाई है। पोड़ी और पाली विकासखंड जिले के सबसे पिछड़े विकासखंड में गिने जाते हैं। अनुुसूचित जनजाति बाहुल्य विकासखंड के रहवासियों को बस से महंगी यात्रा करनी पड़ रही। छुरी, कटघोरा के ग्रामीणाें को रेल यात्रा के लिए कोरबा के लिए 22 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं चैतमा, पाली, पोड़ी उपरोड़ के ग्रामीण 40 से 50 किलोमीटर सफर तय कर रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं। यहां ऐसे भी लोग मिल जाएंगे जिन्होन रेल में अब तक सफर नहीं किया है। जिले आइटी व मेडिकल कालेज की सुविधा तो है, लेकिन शहर तक पहुंचने के लिए नियमित सुविधा नहीं होने की वजह से विद्यार्थी यहां दाखिला नहीं लेना चाहते। विद्यार्थियों की कमी के चलते आइटी कालेज बंद होने के कगार में है।
छह लाख आबादी रेल सुविधा से आज भी वंचित
जिले के पांच विकासखंडों में कोरबा और करतला को छोड़ दिया जाए तो पोड़ी उपरोड़ा, पाली और कटघोरा के छह लाख आबादी के लिए आज भी रेल की सुविधा नहीं है। पेट्रोल की बढते महंगाई के इस दौर में लंबी दूरी का सफर बस में तय करना पड़ रहा। जिले में सीमित रेलेवे स्टेशन अस्तित्व में हैं वह भी मालगाड़ी स्टापेज की भेंट चढ़ गई है। वनवासी क्षेत्र के रहवासी की रेल की सस्ती यात्रा करने के लिए अपने क्षेत्र से आज भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
दो साल से बंद है गेवरा रोड स्टेशन
शहर से होकर आने-जाने वाली यात्री ट्रेनों की लेट लतीफी अब आम बात हो गई। शासकीय अथवा निजी काम के लिए नियमित समय पर दूसरे पहुंचना अब यात्रियों के लिए दूभर हो गया है। बिलासपुर, रायपुर जैसी सीमित दूरी की यात्रा के लिए लोगों को ट्रेन की सस्ती यात्रा को छोड़ बस की महंगी यात्रा करनी पड़ रही है। रेल सुविधा के यात्रियों की घटती संख्या के कारण रेलवे गेवरा स्टेशन को दो साल से बंद कर रखा है। नियमित यात्रा करने वालों को अब कोरबा रेलवे स्टेशन की दौड़ लगानी पड़ रही है।
स्टेशन में दुकान संचालकों के लिए घाटे का सौदा
रेलवे स्टेशन की रौनक रेलों के आवागमन पर भर निर्भर हैं। यहां दुकाने आवंटन कराकर व्यवसाय करने वालों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। सुुबह के समय ही कोरबा रेलवे स्टेशन में ट्रेन की सुविधा रहती है। इस दौरान ही स्टेशन में यात्रियाें की थोड़ी हलचल दिखाई देती है। शेष समय में ट्रेन नहीं होने के कारण व्यवसाइयों को दुकान बंद रखना पड़ता है। रेलवे स्टेशन में चाय, फल, नाश्ता बेच कर जीवकोपार्जन करने वाले भी अब बेरोजगार हो गए हैं